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Ram Navami 2025 : सुखद संयोग में 06 अप्रैल को मनाई जाएगी रामनवमी

Posted on March 28, 2025 By Manish Srivastava No Comments on Ram Navami 2025 : सुखद संयोग में 06 अप्रैल को मनाई जाएगी रामनवमी

Aligarh : चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी दिन रविवार पुष्य नक्षत्र सुकर्मा योग बालव करण के सुखद संयोग में 06 अप्रैल 2025 को ही रामनवमी, दुर्गा नवमी मनाई जायेगी. अतः इसी में (माता सिद्धिदात्री ) की पूजा पाठ मान्य होगी, व्रत रखने वाली माताएं बहनेअष्टमी दिन 05 अप्रैल 2025 वाले दिन ही व्रत रखेंगी. 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार वाले दिन हवन, यज्ञ, अनुष्ठान ,दुर्गा सप्तशती का पाठ ,कन्या लांगुर जिमाने के उपरांत ही व्रति महिलाएं व पुरुषअपना व्रत खोलेंगे*

Chaitra Navratri
Navratri

मां का चोला (लाल )रंग का शुभ रंग (बैंगनी )भोग में पसंद नारियल ,हलुवा ,चना, पूड़ी का भोग लगाने से हर प्रकार की खुशहाली सुख समृद्धि प्राप्त होती है

देवी भगवती का नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री का है नवरात्रियों में जिन नौ दुर्गाओकी आराधना की जाती है वह मूलतः एक ही है किंतु लौकिक रूप में नवदुर्गा(नौदेवी) कहा जाता है. आखिरी दिन शक्ति के जिसरूप की आराधना की जाती है वह मां सिद्धिदात्री की आराधना ही हैं इनके आशीर्वाद के बिना व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण नहीं होती मार्कंण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा ,महिमा, गरिमा, लघिमा ,प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्वऔर वशित्वयेआठ प्रकार की सिद्धियां कहीं गई है पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को आठ सिद्धियां और नौ निधियों से पूर्ण कर देती हैं इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर नारी का हुआ जिसके कारण वे अर्धनारीश्वर कहलाए मां अपने हाथ में गदा ,कमल पुष्प ,शंख और चक्र धारण करती हैं इनका वाहन सिह है जिस साधकने इन को प्राप्त कर लिया वह सुख समृद्धि का प्रतीक हो गया अर्थ पाना कठिन नहीं है अर्थ को सिद्ध करना बड़ा अर्थ रखता है यह माता महालक्ष्मी जी का स्वरुप है इनकी आराधना के साथ ही नवरात्र व्रत का पारण होता है मां की उपासना के साथ दुर्गा जी के मंत्र से ध्यान करना चाहिए ध्यान के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं श्रेष्ठ निर्माण मंत्र




ॐ ऐंग हीलीम क्लीम चामुंडायै विच्चै

♦इस मंत्र की यथासंभव 2,5,7,9 या 11 माला हवन करना चाहिए हवन सामग्री में शहद गुगल और दशांगका प्रयोग अवश्य करें कन्या पूजन कर उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें इस प्रकार मां सिद्धिदात्रीकी कृपा आपके परिवार पर वर्षभरबनी रहेगी
दूसरा अचूक मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमो नमः
सिद्धियां प्रदान करने वालीहै माता सिद्धिदात्री, सिद्धिदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं जो सच्चे मन और विधि विधान मां की आराधना करते हैं इससे उन्हें यश बल और धन की प्राप्ति होती है नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के पूजन अर्चन से भक्तों को जीवन में अद्भुत सिद्धि क्षमता प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप पूर्णता के साथ सभी कार्य संपन्न होते हैं मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होने से सभी लौकिक एवं पर लौकिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं नवरात्रि में देवी की आराधना कर सिद्धि प्राप्त करना जीवन के हर स्तर में संपूर्णता प्रदान करता है माता दुर्गा अपने भक्तों को ब्रह्मांड की सभी सिद्धियां प्रदान करती है देवी भागवत पुराण के अनुसार भगवान शिव ने भी इन्ही की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था इन्ही की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ और वह लोग में अर्धनारीश्वर के रूप में स्थापित हुए नवरात्र पूजन के अंतिम दिन भक्तों और साधक माता सिद्धिदात्री की शास्त्रीय विधि-विधान से पूजा करते हैं माता सिद्धिदात्री चतुर्भुज और सिंहवाहिनी है गति के समय वे सिंह पर तथा अचल रूप में कमल पुष्प के आसन पर बैठती हैं माता के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र और ऊपर वाले दाहिनी हाथ में गदा रहती है बाईओर के नीचे वाले हाथ में शंख तथा ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प रहता है नवरात्र के नौवे दिन जातक अगर एकाग्रता और निष्ठा से इनकी विधिवत पूजा करें तो उसे सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं सृष्टि में कुछ भी प्राप्त करने की सामर्थ उसमें आ जाती है देवी ने अपना यह स्वरूप भक्तों पर अनुकंपा बरसाने के लिए ही धारण किया है




पूजा विधि एवं कन्या लांगुरा जिमाने के शुभ मुहूर्त दुर्गा नवमी रामनवमी 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार

विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 07:51 बजे से दोपहर 12:26बजे तक” चर”लाभ और अमृत” के तीन बहुत ही बेहतरीन चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे इसमें सन्यासी एवं नौकरीपेशा लोगों के लिए बहुत ही सर्वोत्तम मुहूर्त कहलाए जाएंगे इसके बाद में दोपहर 01:05 से दोपहर 03:21 तक” शुभ “का बहुत ही उत्तम मुहूर्त रहेगा जिसमें व्यापारी वर्ग के लोग एवं वह लोग जो रोग दोषो से पीड़ित हैं .या जिन कन्याओं कीविवाह शादी में दिक्कत,अडचन, परेशानियां हैं या जिन माताओं बहनों के संतानमै बाधा है उन लोगों के लिए यह मुहूर्त सर्वोत्तम कहा जाएगा इसमें पूजा पाठ करने से समस्त प्रकार के दुखों समाप्त हो जाते हैं
पूजा विधि : प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजा घर को साफ शुद्ध करें पूजा स्थल को चूने खड़िया से पोते इसके बाद 9 वर्ष तक की एक कन्या से उसके हाथ का शुभ पोते हुए स्थान पर हल्दी ,चंदन या रोलीथापा जरूर लगवाएं जिसे स्वयं मां का स्वरूप मानते हैं कन्या को यथायोग्य दक्षिणा और उपहार देकर विदा करें उसके पैर छूए आशीर्वाद लें इसके बाद हवन, यज्ञ, पूजा, पाठ एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ मंत्र जाप करने के पश्चात कन्या लागुराओको भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें व्रत रखने वाले लोग कन्या लागुरा के भोजन की जूठन में से थोड़ा सा प्रसाद स्वरूप भोजनअवश्य लें यह मां का प्रसाद समझकर हीले इससे व्रत रखने वालों की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है क्योंकि पूजा-पाठ का मतलब केवल हमारी सच्ची आस्था और विश्वास से होता है.*
प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) परमपूज्य गुरुदेव पंडित ह्रदयरंजन शर्मा (अध्यक्ष) श्री गुरु ज्योतिषशोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी WhatsApp नंबर-9756402981,7500048250

धर्म अध्यात्म Tags:Ram Navami 2025

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