- होम्योपैथिक चिकित्सा में अद्भुत कार्य करने लिए एबीसी न्यूज चैनल ने भव्य समारोह में किया सम्मानित
- कमिश्नर अखिल कुमार और जीएसवीएम के प्राचार्य डॉ संजय काला ने किया डॉक्टर मधुलिका को पुरस्कृत
- अपने परिवार को सफलता का श्रेय देकर कहा, जब आप अच्छा सोचेंगे तभी अच्छा कर पाएंगे
- नोबल कॉज अवार्ड सहित अब तक 12 प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर चिकित्सा के क्षेत्र में जमाई धाक
कानपुर : जीवन में सफलता हासिल करने के लिए अक्सर लोग अपनी क्षमता और योग्यता के हिसाब से भरपूर मेहनत करते हैं। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो विकास के साथ-साथ दूसरों की सेवा करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। ऐसे लोग अपने हुनर और काबिलियत से स्वस्थ समाज को बनाने में आदर्श प्रस्तुत करते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जाए कि यह अपने काम करने के अद्भुत तरीके से संबंधित कार्यक्षेत्र के ब्रांड बन जाते हैं और वह कार्यक्षेत्र उनके नाम से जाना जाता है। कुछ ऐसा ही करके दिखाया है कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने।

होम्योपैथिक चिकित्सा में अपने इलाज के तरीकों से असंख्य मरीजों के कष्टों को दूर कर चुकीं डॉक्टर मधुलिका शुक्ला को सोमवार को नेशनल डॉक्टर्स डे के शुभ अवसर पर एबीसी न्यूज चैनल द्वारा आयोजित भव्य समारोह में कमिश्नर अखिल कुमार और जीएसवीएम के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने नोबल कॉज अवार्ड से सम्मानित किया। नोबल कॉज यानी नेक काम करने के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाली डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता का हमेशा शत-प्रतिशत निर्वाहन किया।
होम्योपैथिक चिकित्सा में लगातार अद्भुत काम करके इस प्रतिष्ठित अवार्ड को मिलाकर 12 पुरस्कार जीत चुकीं डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने विशेष बातचीत में कहा, मेरा मानना है कि हमको यह जीवन परोपकार और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए मिला है। यदि हम किसी भी रूप में लोगों की सहायता कर सकें तो हमारा जीवन सार्थक माना जाएगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी मरीज, वृद्ध, गरीब या जरूरतमंद की सेवा के लिए पैसों की नहीं बल्कि एक अच्छी सोच की जरूरत होती है। अच्छा सोचेंगे तभी अच्छा कर पाएंगे। मेरी हर सफलता और अच्छी सोच में परिवार का अहम रोल है। मेरी मां, छोटी बहन और बड़े भाई ने मेरा हर कदम पर साथ दिया है। इसके साथ ही मैं एबीसी न्यूज चैनल का भी विशेष तौर पर धन्यवाद देती हूं। हौसला अफजाई से परिपूर्ण यह पुरस्कार संजीवनी की तरह है, जिससे मुझे हमेशा अपने कर्तव्य को निभाने में अपार ऊर्जा मिलती रहेगी।