Holi ka Shubh Muhort :
होली का स्थापना एवं पूजन हेतु शुभ मुहूर्त- विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 07:31 से दोपहर 12:30 मिनट तक चर,लाभ,अमृत के तीन बहुत ही बेहतरीन चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे जिनमें चौराहे या गली मोहल्लों की होली का स्थापना हेतु एवं पूजा पाठ हेतु अति सुंदर महूर्त कहे जा सकते हैं इसमे होलिका कीस्थापना करना एवं पूजा पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी इसमे घरो मे रखी जाने वाली होलिका का भी शुभ समय शुभ माना जाएगा और माताओ बहनो एवं घरेलू लोगों के लिए पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 011:00 से 12:30 बजे तक कहा जा सकता है इस समय लाभ,अमृत”के दो विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे इसी बीच सनातनी हिन्दूघरों में होने वाली हनुमान जी की पूजा का भी यह शुभ समय कहा जाएगा
🌻होलिका दहन का शुभ समय एवं शुभ मुहूर्त- होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त रात्रि 12:25 मिनट से रात 01:55 बजे तक उपलब्ध रहेंगे इसी समय में लाभ का चौघड़िया मुहूर्त चल रहा होगा इसके बाद 3:25 से प्रातः 6:25 तक शुभ और चर के दो चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे जिसमें घरेलू और कारोबारी लोगों को होलिका दहन करना अत्यंत शुभ माना जाएगा जो होलिका दहन के लिए सर्वोत्तम कही जा सकती हैं इस समय में सामूहिक चौराहों व गली-मोहल्लों की होलिका दहन करना शुभ रहेगा, इस सबके अलावा रात 03:25सेप्रात:06:25तक” शुभ और चर”के दो चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे जो घरों की होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ कहे जा सकते हैं
🏵पूजन विधि – इस दिन व्रत रखतेहैं दोपहर को हनुमान जी की पूजा होती है जैसे दीपावली वाले दिन की जाती है ,दोपहर को होलीका को पूजने जाती हैं एक थाली में 1 घंटीपानी ,कच्चा सूत, हल्दी ,चावल थोड़ा सा आटा गुड,दाल,घी 8 पूरी हलवा पिचकऊआ(छोटी-छोटी गुजिया )दीपक , गुलरियोकी माला ,1.रुपया ,नमक की डेली होली पूजन करके आते हैं फिर भोजन करते हैं ,फिर अपने घर के आंगन में होलिका की स्थापना करते हैं सर्वप्रथम आटे व गुलाल का चौक बनाकर उसके ऊपर गुलरियोकी माला लगाते हैं मालाये बड़ी से छोटी क्रमशा होती हैं परिवार के लोगों के हिसाब से जोकी बालियों की गड्डियां बनाते हैं चौराहे की सामूहिक होलिका पूजकरआतेहै, उसी की आग से घरो कि होलिका जलाते हैं पूजन करते समय होलिका माता की परिक्रमा भीलगाते हैं जो की बालियां भी भूनतेहै, जिन घरों में पुत्र की शादी हुई हो या पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई उन घरों में मंगल गीत गाए जाते हैं बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं जो की बालियां देकर गले मिलकर राम-राम कहते हैं ,यह त्योहार हर प्रकार केजाति बंधन, ऊंची नीची को भूल कर एक दूसरे को गले मिलकर मौज-मस्ती का होता है जो पूरे भारतवर्ष में इसी प्रकार से मनाया जाता है