अलीगढ़: शरद नवरात्रि (Shardiya Navratri 2023) कब से कब तक है। कौन-कौन से दिन किस देवी मां के स्वरूप की पूजा करनी होगी हमें। क्या है पूजा का विधान। क्या है पूजा सामग्री। किस तरह से हमें पूजा करनी हैं। इन सभी विषयों पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसि ज्योतिद्ध ज्योतिषाचार्य परमपूज्य गुरुदेव पं. हृदय रंजन शर्मा अध्यध्य श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार वाले पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़।
इस बार माता के नवरात्रि पूरे 9 दिन के हैं। जो 15 अक्टूबर 2023 से 23 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे।
🌸15 अक्टूबर दिन रविवार को घट स्थापना के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त प्रात काल 7ः48 से दोपहर 12ः05 तक चर, लाभ, और अमृत के तीन विश्व प्रसिद्ध चैघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे। जिसमें घरेलू, व्यापारी वर्ग एवं पढ़ने-लिखने वाले लोगों के लिए यह समय अति उत्तम माना जाएगा। देवी मां उनकी प्रर्थाना अवश्य पूरी करेंगी। इसके बाद दोपहर 1ः30 से दोपहर 3ः00 के बीच शुभ का एक और अत्यंत लाभकारी चैघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होगा।
इसमें जिन माता-बहनों के अभी तक सन्तान बाधा योग है या जिनके बच्चे नहीं हुए हैं या जिन बहनों और भाइयों के विवाह में विलंब है, वह लोग इस शुभ समय में माता से आस्था विश्वास से पूजा पाठ करके अपनी करूण पुकार इच्छा कह सकते हैं जिसे मां अवश्य ही सुनेंगी और आप सभी लोगों की इच्छा पूरी अवश्य करेंगी।
🌸नवरात्री के नौ दिनों तक देवी माँ के एक स्वरुप की पूजा इस प्रकार है
🍁 15 अक्टूवर, 2023 (रविवार), प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना, श्री शैलपुत्री पूजा
🍁 16 अक्टूबर, 2023 (सोमवार), द्वितीया तिथि, श्री ब्रह्मचारिणी पूजा
🍁 17 अक्टूबर, 2023 (मंगलवार), तृतीय तिथि, श्री चंद्रघंटा पूजा
🍁 18 अक्टूबर 2023 (बुधवार), चतुर्थी तिथि, कूष्माण्डा पूजा
🍁 19 अक्टूबर, 2023 (गुरुवार), पंचमी तिथि, श्री स्कन्दमाता पूजा
🍁 20 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार), षष्ठी तिथि, श्री कात्यायनी पूजा
🍁 21 अक्टूबर2023 (शनिवार), सप्तमी तिथि, श्री कालरात्रि पूजा
🍁 22 अक्टूबर 2023 (रविवार), महाअष्ट्मी, दुर्गाअष्टमी
🍁 23अक्टूबर, 2023 (सोमवार), नवमी तिथि, दुर्गानवमी पूजा,सरस्वती नवमी महानवमी पूजान
🍁 विजयदशमी मां दुर्गा विसर्जन 24 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को देवी मां मुर्गे पर सवार होकर देवलोक गमन करेंगी
🌲हमें घट स्थापना कैसी करनी चाहिए
🌻नवरात्री में घट स्थापना का बहुत महत्त्व है। नवरात्री की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है।कलश को सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु गले में रूद्र, मूल में ब्रह्मा औराा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं। तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
☘घट स्थापना की सामग्री
🌷जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र: जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो। पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते है)। घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश या फिर तांबे का कलश भी लें सकते है। कलश में भरने के लिए शुद्ध गंगाजल, गंगाजल, रोली, मौली, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी कलश में रखने के लिए सिक्का (किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है), आम के पत्ते कलश ढकने के लिए ढक्कन (मिट्टी का या तांबे का), ढक्कन में रखने के लिए साबुत नारियल,लाल कपड़ा, फूलमाला, मिठाईफल तथा दीपक, धूप, अगरबत्ती
💥घट स्थापना की विधि
🍁सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें, जिसमे कलश रखने के बाद भी आसपास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए। पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें।
🌸कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें।
💐कलश में साबुत सुपारी, फूल डालें। कलश में सिक्का डालें। अब कलश में पत्ते डालें। कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें।
🌻नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है, पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें।
🌺देवी माँ की चौकी की स्थापना और पूजा विधि
🌺लकड़ी की एक चैकी को गंगाजल और शुद्ध जल से धोकर पवित्र करें। साफ कपड़े से पोंछ कर उस पर लाल कपड़ा बिछा दें। इसे कलश के दांयी तरफ रखें
☘चैकी पर माँ दुर्गा की मूर्ती अथवा फ्रेम युक्त फोटो रखें
🌷माँ को लालचुनरी ओढ़ाएँ और फूल माला चढ़ायेधूप , दीपक आदि जलाए
💐नौ दिन तक जलने वाली माता की अखंड ज्योत जलाएँ। न हो सके तो आप सिर्फ पूजा के समय ही दीपक जला सकते है
’🎍देवी मां को तिलक लगाए। माँ दुर्गा को वस्त्र, चंदन, सुहाग के सामान यानि हलदी, कुमकुम, सिंदूर, अष्टगंध आदि अर्पित करें, काजल लगाएँ।
☀मंगलसूत्र, हरी चूडियां, फूल माला, इत्र, फल, मिठाई आदि अर्पित करें
🌟प्रतिदिन श्रद्धानुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ, देवी माँ के स्रोत, दुर्गा चालीसा का पाठ, सहस्रनाम आदि का पाठ करें या सुने।
🌲फिर अग्यारी तैयार करें। अब एक मिटटी का पात्र और लीजिये। उसमें आप गोबर के उपले को जलाकर अग्यारी जलायें। घर में जितने सदस्य है। उन सदस्यों के हिसाब से लोंग के जोडे़ बनाएं। लोंग के जोड़े बनाने के लिए आप बताशो में लोंग लगाएं। यानिकि एक बताशे में दो लोंग ये एक जोड़ा माना जाता है और जो लोंग के जोड़े बनाये है। फिर उसमे कपूर और सामग्री चढ़ाये और अग्यारी प्रज्वलित करे।
🌷रोजाना (प्रतिदिन) देवी माँ की सपरिवार आरती करें
🌺पूजन के उपरांत वेदी पर बोए अनाज पर थोड़ा सा जल अवश्य छिड़कें रोजाना देवी माँ का पूजन करें तथा जौ वाले पात्र में जल का हल्का छिड़काव करें। जल बहुत अधिक या कम ना छिड़के। जल इतना हो कि जौ अंकुरित हो सके। ये अंकुरित जौ शुभ माने जाते है। यदि इनमे से किसी अंकुर का रंग सफेद हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है।
🎍नवरात्री के व्रत की पूजा विधि
🌸नवरात्रि के दिनों में बहुत से लोग आठ दिनों के लिए व्रत रखते हैं (पड़वा से अष्टमी), और केवल फलाहार पर ही आठों दिन रहते हैं। फलाहार का अर्थ है, फल एवं और कुछ अन्य विशिष्ट सब्जियों से बने हुए खाने। फलाहार में सेंधा नमक का इस्तेमाल होता है। नवरात्रि के नौवें दिन पूजा करने के बाद ही उपवास खोला जाता है। जो लोग आठ दिनों तक व्रत नहीं रखते, वे पहले और आखिरी दिन उपवास रख लेते हैं। (यानी कि पड़वा और अष्टमी को). व्रत रखने वालो को जमीन पर सोना चाहिए।
🌲नवरात्री के व्रत में अन्न खाना निषेध है। वह हमे नही खाना चाहिए।
🍀सिंघाडे के आटे की लप्सी, सूखे मेवे, कुटु के आटे की पूरी, समां के चावल की खीर, आलू, आलू का हलवा भी लें सकते है। दूध, दही, घीया, इन सब चीजो का फलाहार करना चाहिए। सेंधा नमक तथा काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिए द्यदोपहर को आप चाहे तो फल भी लें सकते है।
🏵️ नवरात्री में कन्या पूजन
🌺 महा अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी के दिन और कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते है। परिवार की रीति के अनुसार किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। तीन साल से नौ साल तक आयु की कन्याओं को तथा साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का ) को खीर, पूरी, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाये जाते है। कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर,गिफ्ट दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लिया जाता है, फिर उन्हें विदा किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें…
गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा (अध्यक्ष ) श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़। मोबाइल नंबर-9756402981, 7500048250