- कवियों और साहित्यकारों ने विद्याथियों को भगवान राम को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया
Kanpur : कानपुर स्थित जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से ‘तुलसी जयंती महोत्सव 2025’ (Tulsi Jayanti Festival) का आयोजन किया गया।
समारोह में अक्षरा संस्था, लखनऊ व जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, कानपुर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं तुलसीदास जी के चित्र पर पूजन अर्चन और माल्यार्पण के साथ किया गया। इसके उपरांत कार्यक्रम में उपस्थित कवियों और साहित्यकारों का सम्मान किया गया।

इस महोत्सव के अंतर्गत विद्यालय के छात्रों के बीच में ‘रामचरितमानस में जीवनोपयोगी शिक्षायें’ विषयक निबंध प्रतियोगिता, ‘तुलसीकृत सम्मत साहित्य में मूल तत्व और वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता’ विषयक संगोष्ठी एवं ‘तुलसी के राम’ काव्य रामर्चन (कवि गोष्ठी) के माध्यम से तुलसीदास जी के समग्र साहित्य पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किये गए। निबंध प्रतियोगिता में 70 से अधिक छात्रों ने विद्यालय में भाग लिया।
जिसमें प्रथम पुरस्कार के रूप में 1500 की धनराशि विद्यालय की छात्रा रिमशा सिंह,द्वितीय पुरस्कार आदित्य यादव को 1000 की धनराशि, तृतीय पुरस्कार ₹700 का पूर्वी अवस्थी को और पांच सांत्वना पुरस्कार ₹500 – ₹500 के पुरस्कार आराध्या शुक्ला, अंशिका द्विवेदी, रुद्रांश शुक्ला, नैनशी शर्मा और रुद्र कुमार गुप्ता को प्रमाण पत्र के साथ प्रदान किया गया शेष समस्त प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।

संगोष्ठी में उपस्थित डॉ० सुरेश अवस्थी ने तुलसीदास के समग्र साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तुलसी जी का साहित्य सिर्फ धार्मिक नहीं है बल्कि वह जीवन पथ है जिसकी आज के विषम और मूल्यविहीन समय में एक प्रकाश स्तम्भ है। इसी क्रम में डॉ राधेश्याम मिश्र ने कहा कि यह विषय जितना गहन उतना ही समय सापेक्ष भी है।
प्रो सुनील मिश्र ने आज की संगोष्ठी में प्रतिभाग करते हुए कहा कि आज हमारा समाज नैतिक गिरावट, आत्मिक अशांति,जातीय संघर्ष आदि से जूझ रहा है ऐसे में तुलसी दास का साहित्य हमें एक दिशा देता है। डॉ पवन मिश्र ने कहा कि तुलसीदास का साहित्य केवल भक्ति की अभिव्यक्ति नहीं है बल्कि वह नीति, दर्शन, समाज, मानव मन और जीवन मूल्यों की अमूल्य धरोहर है।
कार्यक्रम में आयोजित काव्य गोष्ठी में प्रयागराज से पधारे सुकवि श्री शैलेन्द्र मधुर ने पढ़ा कि अपने मन मन्दिर के स्वामी राम हैं, राम हमारी आस्था के धाम है। इटावा के रोहित चौधरी ने पढ़ा कि अखिल विश्व में जयकारा उस पुण्य धाम का ही होगा, अवधपुरी में राज तिलक तो श्री राम का ही होगा।। प्रयाग के जितेंद्र जलज ने पढ़ा कि ‘तुलसी न होते तो कैसे राम को हम गा पाते’ कानपुर के मुकेश श्रीवास्तव ने पढ़ा कि ‘तुलसी के तारण भाव लिये, तरुवर हैं तापित चन्दन के’ पढा तो सम्पूर्ण सभागार आल्हादित हो गया।कविता पाठ करते हुए अतुल बाजपेई ने बहुचर्चित कविता प्रभु राम हमारे नायक हैं पढ़ी तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।
अंत में कार्यक्रम के समन्वयक/संयोजक डॉ० अतुल वाजपेई ने सभी का आभार ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
कार्यक्रम में विद्यालय प्राचार्य श्री अनिल कुमार त्रिपाठी, विद्यालय के शिक्षक श्री विवेकानंद श्रीवास्तव , आशुतोष सत्यम झा सहित विद्यालय स्टाफ समेत सैकड़ों छात्र छात्राएं एवं शहर के कई साहित्यानुरागी उपस्थित रहे।