- पूजा खंडेलवाल ने साधारण स्कूल गर्ल से 18 वर्ष की उम्र में सुप्रीम कोर्ट की वकील बनने तक का सफर तय किया
- अपनी दमदार काबिलियत की बदौलत जीवन में आए कठिन दौर को अवसर में तब्दील कर दिया
- एडवोकेट बनने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष की सहयोगी बनीं
- बेहद खूबसूरत व्यक्तित्व और अद्भुत कार्यशैली से जमाने के तानों को तालियों में बदल दिया
- रूढ़िवादी पति और ससुराल को छोड़कर दो बेटियों के जीवन संवार आदर्श मां भी हैं पूजा
- लगभग 48 देशों की यात्रा कर चुकीं पूजा को अब कोई भी काम मुश्किल नहीं लगता
जो इंसान कठिनाइयों से कभी घबराता नहीं है, वही इस दुनिया में अपनी एक विशेष पहचान बनाने में सफल होता है। क्योंकि सभी जानते है कि आग में तपकर ही सोना चमकदार और खरा होता है। इन सभी पंक्तियों को चरितार्थ करके दिखाया है गुरुग्राम की मशहूर एडवोकेट व सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष की सहयोगी पूजा खंडेलवाल ने। पूजा के जीवन की कहानी ऐसी है शायद ही किसी ने सुनी या पढ़ी हो।
विशेष बातचीत में पूजा ने बताया कि उनकी शादी 18 साल की उम्र में माता-पिता ने जबरदस्ती एक बनिया रूढ़िवादी परिवार में कर दी थी जबकि वह एक बोर्डिंग स्कूल से मुश्किल से 12वीं पास थी। 2019 में पूजा मां बन गई और उन पर पढ़ाई छोड़ने का दबाव बनाया जाने लगा।
वह स्कूल में पढ़ाई करने में टॉपर थी, फिर भी उन्हें पढ़ने नहीं दिया गया। उन्हें बाहरी दुनिया के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी, फिर उसकी शादी हो गई तो गर्भावस्था में उन्हें पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन पूजा ने बिना बताए पढ़ाई करने का फैसला किया। हर कठिनाई का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। फिर आखिरकार उन्होंने घरेलू हिंसा के कारण तलाक ले लिया क्योंकि पति और परिवार बहुत रूढ़िवादी था। पूजा ने 21 वर्ष की उम्र में ही अपने पति और ससुराल को छोड़कर बिना किसी के सहयोग से अकेले ही अपने दम पर अपनी किस्मत खुद लिखी।
जब उन्होंने घर छोड़ा तो उनके पास पैसे नहीं थे, वह 500 रुपये लेकर निकलीं और फिर अपने दम पर जीवनयापन किया, एक एनजीओ में काम किया, वकालत की। फिर शाम और सुबह अंशकालिक एरोबिक्स शिक्षक के रूप में भी काम किया। फिर कुछ कंपनियों में काम किया और अच्छी कमाई करने लगी, फिर उन्होंने एक रेस्तरां का अपना व्यवसाय खोला। लेकिन वक्त की मार पड़ी और कोविड आया तो सब कुछ बदल गया, कारोबार बंद हो गया। फिर उन्होंने अपनी बेटी को बोर्डिंग स्कूल भेजा। पूजा एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर होने के साथ-साथ कोविड पर एक सामाजिक कार्यकर्ता भी बन गईं है। पूजा ने अपनी योग्यता के दम पर कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं। वुमेन अचीवर्स अवॉर्ड हासिल करने के साथ ही आईएचएफएफ में विशिष्ट अतिथि के रूप में भी भाग लिया। इतना ही नहीं पूजा ने मोटिवेशन गुरु विवेक बिंद्रा को भी फिट रहने के लिए 33 किलो वजन कम करने के लिए प्रेरित कर अपना प्रभाव छोड़ा।
जिन्दगी के हर मोड़ पर कुछ नया करते हुए पूजा लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही हैं। लगभग 48 देशों की महत्वपूर्ण यात्रा करके बेहद खूबसूरत और अनुभवी शख्सियत की छवि बना चुकी पूजा के पास पहले से ही कानून की डिग्री थी और उन्होंने अपना जीवन व्यवस्थित करने के बाद एक वकील के रूप में फिर से अभ्यास करना शुरू कर दिया। एक महिला जो आभा व्यक्तित्व, अनुग्रह, फिटनेस, शिक्षा का अद्भुत उदाहरण है समाज और महिलाओं के लिए। खुद को एक कमजोर स्थिति से एक मजबूत बॉस महिला के रूप में तब्दील किया। अपने दो बच्चों के भविष्य को देखते हुए दूसरी शादी करने के लिए सोचा भी नहीं। वह अपना जीवन बॉस की तरह जी रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एक डॉक्टर द्वारा कराए गए एटिपिकल सूक्ष्म जीवाणु को भी उलट दिया, जिसमें उन्होंने एक घातक संक्रमण का सामना किया, जिससे उनके पूरे पेट पर निशान रह गए। बड़ी ग्रैनुलोमा के साथ और डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया। फिर उन्होंने शोध किया और फिर खुद ही सब कुछ उलट दिया। गहरा ज्ञान और अद्भुत लाजवाब सुंदरता की प्रबल प्रतिभा के कारण पूजा ने हर कठिन परिस्थितियों को आसान रास्ते में तब्दील कर दिया। यह एक मजबूत महिला की शक्ति का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
अपने जीवन के इन सभी अनुभवों को साझा करते हुए पूजा ने कहा कि आपने बहुत सी तलाकशुदा कामकाजी महिलाओं को देखा होगा, लेकिन इतिहास में ऐसी कोई महिला नहीं उभरी जो एक ही समय में इतने काम बखूबी आसानी से कर सके, जो जीवन में किसी भी घातक स्थिति को पलट सके, मानसिक क्षमता और ताकत ही एक बॉस महिला का रवैया है, जो टाइटेनियम की हिम्मत है। अपनी बातों को विराम देते हुए पूजा खंडेलवाल ने कहा कि मेरी तरह हर महिला व लड़की को अपने इरादे इतने बुलंद रखने चाहिए कि डर को भी ‘डर’ लगने लगे।