- बेहतर संवाद और व्यवहार के साथ ही लगातार वर्षों की कड़ी मेहनत लगती है किसी का विश्वास जीतने में
- मरीज या पीड़ित के अंदर ठीक होने की इच्छा को जागृत करने में डॉक्टर की अहम होती है भूमिका
- कोई भी डॉक्टर छोटा या बड़ा नहीं होता है, हमेशा अच्छा इलाज करने के तरीके से बनती है शानदार छवि
- किसी एक मरीज को भी पूर्णतया ठीक करने वाले डॉक्टर के प्रोफेशन को सफल और न्यायपूर्ण माना जाएगा
Kanpur : अक्सर यह चर्चा होती है कि जो भी डॉक्टर जितना विज्ञापन देता है, वह उतना बड़ा या प्रसिद्ध डॉक्टर बन जाता है। यानी अखबार, न्यूज पोर्टल, रेडियो और टीवी चैनल पर होने वाले प्रचार से ही उसकी छवि शानदार बनती है।
इस विषय पर गंभीरता से चर्चा कर अपना अनुभव साझा करते हुए कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि किसी भी प्रकार का कोई भी विज्ञापन चाहे वो अखबार में प्रकाशित हो, न्यूज पोर्टल पर वायरल हो , रेडियो या टीवी चैनल पर प्रसारित किया जा हो। उस विज्ञापन का रोल बस इतना ही होता है कि उस विज्ञापन के माध्यम से कोई भी संपर्क या खास तौर पर मरीज और उसके तीमारदार संपर्क कर सकते हैं, उन्हें भटकना नहीं पड़ता है। किसी भी रोग से पीड़ित संबंधित डॉक्टर के पास आसानी से पहुंच जाता है। उसे कोई किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं होता है। बस इतना ही रोल होता है कि किसी भी प्रकार के प्रचार या विज्ञापन का।
जब कोई भी मरीज किसी भी डॉक्टर के पहुंच जाता है इस प्रकार के विज्ञापन को पढ़कर या देखकर तो असली भूमिका तब शुरू होती है। संबंधित डॉक्टर का अनुभव, बात करने व व्यवहार करने का तरीका, मरीज की तकलीफों को गहनता से सुनने के बाद जरूरी जांचें लिखना, आवश्यक दवाएं ही देने के अलावा संबंधित पीड़ित व्यक्ति या मरीज के अंदर यह विश्वास जगाना कि उसे बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।
समय पर दवा लेने और थोड़ा सा परहेज करने व संयमित जीवन जीने से वह बिल्कुल ठीक हो जाएगा। और साथ में आने वाले तीमारदार से भी मरीज के विषय में पूरी जानकारी लेना कि वह किसी भी चीज को लेकर ज्यादा सोचता या परेशान तो नहीं रहता है। जिसका असर उसके मस्तिष्क और शरीर पर पड़ रहा है। यह सभी महत्वपूर्ण बातें हैं जिनकी बदौलत आमजन या मरीज में अपने डॉक्टर के प्रति विश्वास जगता है। कोई भी डॉक्टर छोटा या बड़ा नहीं होता है। किसी एक मरीज को भी डॉक्टर ने पूरी तरह स्वस्थ कर दिया तो वह सफल डॉक्टर माना जाएगा यानी वह अपने प्रोफेशन के साथ न्याय कर रहा है।
डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि मेरे यहां आने वाला हर मरीज इस विश्वास के साथ ही आता है कि उसकी तकलीफ़ दूर हो जाएगी और वह पूरी तरह ठीक है जाएगा। यह विश्वास एक-दो महीनों में नहीं बल्कि वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। मेरा हमेशा प्रयास यही रहता कि हर मरीज जल्द से ठीक हो जाए।