- सही दावा के चुनाव से मिलता है 100 प्रतिशत जड़ से बिमारी से मिल जाती है निजात
- लिवर, किडनी और गठिया रोग सहित अन्य बीमारियां भी आसानी से ठीक हो जाती
Kanpur : होम्योपैथिक मेडिकल क्षेत्र में एक ऐसी विधा है जो इस विश्वास पर आधारित है कि शरीर स्वयं को ठीक कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि होम्योपैथिक दवा का कोई दुष्प्रभाव यानी साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि होम्योपैथिक में एक सही मात्रा में दवा दी जाती है जिसके कारण शरीर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता है और न ही शरीर के किसी अंग पर भी इसका असर पड़ता है।
दवा को बनाते वक्त किसी केमिकल फ्लेवर या कलर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस वजह से यह पूरी तरह से सुरक्षित होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सामान्य तौर पर होम्योपैथिक दवा का एक से दो दिनों के अंदर दिखने लगता है। वहीं लिवर, किडनी, आंत और गठिया से संबंधित बीमारियां भी आसानी से ठीक हो जाती है पर दवा का असर दिखने में 8 से 10 महीने का वक्त लग जाता है।
एक खास बात यह है कि दवा के प्रभावी होने के लिए दूध और दूध से बने उत्पादों से बचना चाहिए। यदि ये सावधानियां नहीं बरती जाती हैं, तो व्यक्ति को आगे चलकर मधुमेह, किडनी की समस्या और उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है। होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के दौरान भोजन न छोड़ने की सलाह दी जाती है।
यदि आप त्वचा रोगों के लिए दवा ले रहे हैं तो खट्टे फल या खट्टा दही जैसे खट्टे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। गैस्ट्रिक समस्याओं से संबंधित दवा लेने पर मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थ और अन्य खाद्य पदार्थ जो तीखी गंध देते हैं, उसे बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब भी आप होम्योपैथिक दवा का प्रयोग कर रहे हैं तो अदरक, लहसुन और प्याज जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा होम्योपैथिक दवा संग आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। खट्टी चीजों से भी परहेज करना चाहिए नहीं तो दवा बेअसर हो सकती है।