कानपुर : वर्तमान समय में हर इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन और रात एक कर देता है। लेकिन कुछ हासिल करने के चक्कर में वह अपने स्वास्थ्य पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाता है। नतीजन कोई न कोई बीमारी पकड़ लेती है और हम जल्द से जल्द छुटकारा पाने के लिए एलोपैथिक दवा का सहारा लेते हैं। लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती है बल्कि थोड़े समय के लिए दब जाती है। आगे चलकर वह बीमारी एक खतरनाक रूप में आपके सामने भी फिर उभर आती है। इसलिए होम्योपैथी पर आंख बंद करके विश्वास करना चाहिए क्योंकि कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका सटीक और कारगर इलाज होम्योपैथी के पास ही है। होम्योपैथिक दवा से कभी भी साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं।
इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि होम्योपैथिक दवा किस तरह से असर करेगी यह पूरी तरह निर्भर करता है आपकी बीमारी क्या है? उसके लक्षण आपके शरीर पर किस तरह से दिखाई दे रहे हैं। होम्योपैथी में पहले मरीज से उनके बीमारी के संवैधानिक लक्षण पूछे जाते हैं- जैसे पूरे दिन प्यास कितनी बार लगती है, कितना पसीना आ रहा है, रात में बार-बार पसीना आता है। वहीं दूसरी तरफ बीमारी का इलाज सही दिशा में कारगर हो, इसके लिए फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछा जाता है कि कहीं पहले भी यह बीमारी आपके घर में हो चुकी तो नहीं है। फैमिली यह पहले हुई है या नहीं आदि।
फैटी लिवर-होम्योपैथी के जरिए फैटी लिवर का इलाज मुमकीन है. सबसे पहले तो आप ब्लड टेस्ट या इमेजिंग के जरिए जान सकते हैं कि फैटी लिवर कितना बढ़ा हुआ है. फैटी लिवर को कंट्रोल में करने के लिए लाइफस्टाइल और खानपान तो बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता ही है लेकिन होम्योपैथी के पास भी ऐसी सटीक दवाएं जिससे फैटी लिवर की समस्याओं को से 5-6 दिन में राहत मिलती है. कई बार इस बीमारी में सूजन और मरीज को खिंचाव का अनुभव होता है लेकिन दवा खाने के बाद और सही खानपान के बाद यह समस्या से एक हद तक राहत मिलती है।
साइटिका- साइटिका में पीठ के निचले हिस्से से दर्द शुरू होता है वह साइटिक नस पर दबाव डालता है। इस साइटिका का दर्द कहते हैं. इसमें दर्द अचानक से शुरू होता है और पीठ से होता हुआ टांग के बाहरी और सामने वाले हिस्से तक पहुंच जाता है।
माइग्रेन: सिरदर्द के बहुत सारे प्रकार है:- इनमें से माइग्रेन का दर्द काफी ज्यादा खतरनाक होता है. माइग्रेन का दर्द बार-बार होता है। यह दर्द बेहद गंभीर होता है. माइग्रेन का अब तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर क्यों होता है। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि यह एक जेनेटिक बीमारी हो सकती है. माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं. जैसे स्ट्रेस, हार्मोन, इन बैलेंस, शोर-शराबा, तेज गंध, परफ्यूम, नींद पूरी न होना, मौसम में बदलाव, आदि। ज्यादा कैफीन और शराब का इस्तेमाल।
जोड़ों का दर्द- गठिया शरीर में जिस जगह दो हड्डियां मिलती है उसे ज्वाइंट कहते हैं. ज्वाइंट में पेन कई कारणों से हो सकते हैं। लेकिन जिस ज्वाइंट पर हड्डियां टकराने लगे तो उस बीमारी को गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट भी कहते हैं. हड्डियों पर ज्यादा जोड़ पड़ने पर वो कमजोर होने लगते हैं। और यह बीमारी बढ़ने लगती है।
पाइल्स -फिशर होम्योपैथी विशेष रूप से शल्य चिकित्सा से बचने के लिए एक खास पद्धति है. खासतौर पर पाइल्स (बवासीर), फिशर, फिस्टुला के मामलों में सबसे अच्छा विकल्प है। ऐसे कई मामले हैं जिसमें होम्योपैथी के जरिए इन बीमारियों का निपटारा किया गया है। ये सब ऐसी बीमारी है जिनमें होम्योपैथी के जरिए इलाज किया जाता है। और रिजल्ट ऐसे हैं कि एलोपैथी भी इसके सामने फेल है।