Prayagraj (Maha Kumbh 2025) : ये कुंभ मेला आगमन की बेला है। 12 वर्षों के बाद आने वाले आनंद का उत्सव है। कुंभ एक महायज्ञ है, जीव और जगत के कल्याण का। ये आध्यात्मिक वातावरण के निर्माण का वक्त है। जो असंख्य संतों के आगमन और एकत्र होने से पैदा होगा। कुंभ सामूहिक चेतना के जागरण का प्रतीक है।
प्रयागराज में संगम तीरे हजारों एकड़ भूमि के कण-कण में दिव्यता का अनुभव होने वाला है। मेहमानों के आगमन की तैयारी में पूरे शहर का कायाकल्प चल हो रहा है। सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। एंतिहासिक स्माराकों, किलों, मंदिरों में सुधारकार्य किया जा रहा है। शहर की दीवारों पर पेंटिंग बनाई जा रही है। ताकि मेहमानों को सिर्फ संगम का ही नहीं, उससे भी कहीं अधिक बढ़कर अपनी यादों में संजोने का अवसर मिल सके।
कुभ मेला वैसे तो संतों सन्यासियों का मेला है। जिसमें देश भर के साधू संत जंगलों, पर्वतों, गुफाओं, कंद्राओं से निकलकर आते हैं। जो संत अनवरत विचरण करते रहते हैं उनका भी कुंभ में आगमन होता है। सभी संत बिना किसी आमंत्रण के आते है। वे अपनी-अपनी टोलियों के साथ पूरे क्षेत्र में डेरा जमाएंगे। तमाम पांडाल लगाए जाएंगे।
सब कुछ अत्यंत प्रेरणादायी होने वाला है। असीमित ऊर्जा का संचार होने वाला है। तमाम संत अपने-अपने पांडालों में प्रवचन करेंगे। पूरा वातावरण एकदम जीवंत होगा। जहां साधू संतों के साथ गृहस्थ जीवन वाले भी अपना पांडाल सजाएंगे। सब जगह हर्ष उल्लास नजर आने वाला है।
कुंभ मेला सिर्फ नदी में नहाने तक सीमित नहीं है बल्कि हर जगह कुछ न कुछ नया चलता है। अलग-अलग पांडालों में साधू प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन कराते हैं। कोई पांडाल अत्यंत भव्य होगा तो कोई बहुत सादा। इतनी विविधिता और गहन उर्जा को देखना अद्भुत है। कुंभ मेला श्रष्टि को अत्यंत गहराई तक छू लेने का अवसर है।
कुंभ अपनी विशालता के लिए तो प्रसिद्ध हैं ही। अपनी विविधिता के लिए भी आश्चर्यचकित करता है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक। देश से लेकर विदेश तक सब जगह के लोग एकत्र होंगे। कहीं ज्ञान की धाराएं तो कहीं ध्यान की धाराएं नजर आएंगी इस अमृत महाकुंभ में।
कुंभ मेला भारत का राष्टीय समागम है। इसे सनातन प्रेरणा का प्राण कहा जाता है। कुंभ में दुर्गम स्थानों आकर महात्मा इन ग्रहस्थों के बीच डेरा जमाते हैं। कुंभ के दौरान इन महात्मों के ज्ञान ध्यान का अमृत झलकता है। इनका दर्शन पाने को देश-विदेश से लोग एकत्र होते हैं। जिन्हें भारत और सनातन धर्म को सही अर्थों में समझना है उनके लिए कुंभ मेले से बेहतर कोई अवसर नहीं।