Skip to content

The Xpress News

  • Home
  • धर्म अध्यात्म
  • Health
  • Blog
  • Toggle search form
  • हल चंदन षष्ठी 04 सितंबर सोमवार को Blog
  • Alankara Samaroh
    Alankara Samaroh : जय नारायण विद्या मन्दिर इंटर में प्रतिभा अलंकरण समारोह सम्पन्न धर्म अध्यात्म
  • उत्साह के साथ मनाया विश्व बैडमिंटन दिवस Sports
  • हरतालिका तीज व्रत (गौरी तृतीया व्रत)विशेष 18 सितंबर 2023 दिन सोमवार Blog
  • पीएम-सीएम आवास
    विभिन्न शासकीय भवनों का मुख्यमंत्री कल करेगे लोकार्पण UP Government News
  • Surya Namaskar Mahayagya
    Surya Namaskar Mahayagya : क्रीड़ा भारती ने सूर्य नमस्कार सप्ताह का किया भव्य शुभारंभ, देखें Vidieo Sports
  • उत्तर प्रदेश एथलेटिक एसोसिएशन की स्पेशल जनरल काउंसिल मीटिंग 2025 में खेल के विकास पर हुई चर्चा Sports
  • श्रीराम लला के दर्शन
    प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन ढाई लाख से ज्यादा भक्तों ने किए प्रभु श्रीराम लला के दर्शन Blog
Basant Panchami 2024

Makar Sankranti-2024 : आखिर हम क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति, जानें पंडित हृदय रंजन शर्मा से

Posted on January 10, 2024 By Manish Srivastava No Comments on Makar Sankranti-2024 : आखिर हम क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति, जानें पंडित हृदय रंजन शर्मा से

Makar Sankranti- 2024 : आखिर हम क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति। आइए आज आपको इस विषय पर विस्तृत जानकारी दे रहे है प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़।

🌞हमारे देश में मकर संक्रांति का त्यौहार विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। कहीं इसे मकर संक्रांति कहते हैं तो कहीं पोंगल लेकिन तमाम मान्यताओं के बाद इस त्यौहार को मनाने के पीछे का तर्क एक ही रहता है और वह है सूर्य की उपासना और दान। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर-संक्रांति कहलाता है। संक्रांति के लगते ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। मान्यता है कि मकर-संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है। उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। मकर संक्रांति को मनाने का प्रचलन कब से शुरू हुआ इसके बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है, लेकिन इसके पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जो इस पर्व को मनाने के महत्व को सत्यापित करती हैं।




🌞मकर संक्रांति से जुड़ी हुई पौराणिक कथाएं – कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं। शनिदेव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। – यशोदा जी ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। कहा जाता है तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ। – मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थीं। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

🌞महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। – इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है। महापर्व महासंक्रांति संपूर्ण भारत में मकर संक्रान्ति विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। विभिन्न प्रान्तों में इस त्यौहार को मनाने के जितने अधिक रूप प्रचलित हैं उतने किसी अन्य पर्व में नहीं।

🌞हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व 13 जनवरी को ही मनाया जाता है। इस दिन अंधेरा होते ही आग जलाकर अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है। इस सामग्री को तिलचैली कहा जाता है। इस अवसर पर लोग मूंगफली, तिल की बनी हुई गजक और रेवड़ियाँ आपस में बाँटकर खुषियाँ मनाते हैं। बहुएँ घर-घर जाकर लोकगीत गाकर लोहड़ी माँगती हैं। नई बहू और नवजात बच्चे के लिये लोहड़ी का विषेष महत्व होता है। इसके साथ पारम्परिक मक्के की रोटी और सरसों के साग का आनन्द भी उठाया जाता है।

🌞उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से ‘दान का पर्व’ है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होता है। मकर संक्रान्ति के दिन स्नान करने के बाद तिल के मिष्टान्न आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है। बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चूड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का महत्त्व है। महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएँ अपनी पहली संक्रान्ति पर कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। तिल-गूल नामक हलवे के बाँटने की प्रथा भी है। बंगाल में इस पर्व पर स्नान के पष्चात तिल दान करने की प्रथा है।

🌞तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाते हैं। पोंगल मनाने के लिये स्नान करके खुले आँगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं। इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता है। उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी और जमाई राजा का विषेष रूप से स्वागत किया जाता है। असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं। राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आषीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक विविध रूपों में दिखती है। गंगा स्नान का महत्व मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है। गंगा स्नान के बारे में मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं। इसलिए इस दिन दान, तप, जप का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। मकर संक्रांति में चावल, गुड़, उड़द, तिल आदि चीजों को खाने में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह पौष्टिक होने के साथ ही शरीर को गर्म रखने वाले होते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। दीर्घायु एवं निरोगी रहने के लिए रोगी को इस दिन औषधि, तेल, आहार दान करना चाहिए।




💥 ज्योतिषाचार्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़ यूपी वाट्स अप नंबर-9756402981,8272809774

धर्म अध्यात्म

Post navigation

Previous Post: Lohri-2024 : लोहड़ी की जानें पौराणिक व प्रचलित लोक कथा
Next Post: सराहनीय : ट्रेन में छूटे पर्स को रेलवेकर्मियों ने परिवार को वापस दिलाया

Related Posts

  • IPL 2025, GT vs LSG
    IPL 2025, GT vs LSG : गुजरात टाइटंस की नजरें शीर्ष दो में रहने पर, प्रतिष्ठा के लिए खेलेगा लखनऊ धर्म अध्यात्म
  • करवा चौथ का मुहूर्त
    Durga Ashtami -2025 : दुर्गा अष्टमी को होगी माता महागौरी की पूजा, जानें पूजा विधि व मुहूर्त धर्म अध्यात्म
  • हरतालिका तीज व्रत (गौरी तृतीया व्रत) 26 अगस्त 2025 दिन मंगलवार को है, जानें चमत्कारी उपाय धर्म अध्यात्म
  • Pitr Paksh 2025
    Kamada Ekadashi Vrat : पंडित हृदयरंजन शर्मा से जाने कामदा एकादशी व्रत का महत्व धर्म अध्यात्म
  • Karva Chauth ka pauranik mahatve
    Phalgun Month : फाल्गुन माह का जानिए क्या है धार्मिक और पौराणिक महत्व धर्म अध्यात्म
  • Ganesh Chaturdashi ke shubh yog
    Ganesh chaturthi 2025 : इस बार चार शुभ योगों में मनाई जाएगी श्री गणेश चतुर्दशी, जानें शुभ मुहूर्त धर्म अध्यात्म

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Basant Panchami 2024
    शास्त्रों के अनुसार किस-किस व्यक्ति को है श्राद्ध करने का अधिकार धर्म अध्यात्म
  • Ayodhya
    Ayodhya : बच्चों से हालचाल लेना नहीं भूले सीएम योगी धर्म अध्यात्म
  • Shri Krishna Janmashtami
    Holika Dahan 2024 : होलिका दहन की अग्नि से जानें आने वाले साल का भविष्य धर्म अध्यात्म
  • बेटी को निखारने में मां ‘यशोदा’ हिमानी की ‘भूमिका ‘ Education
  • lunar eclipse
    Holi ka Shubh Muhort :होली की स्थापना एवं पूजन का शुभ मुहूर्त धर्म अध्यात्म
  • रामोत्सव 2024
    रामोत्सव 2024 : 4115.56 करोड़ रुपये की 50 परियोजनाओं के जरिए नव्य-भव्य रूप में सजकर तैयार है अयोध्या धर्म अध्यात्म
  • पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर की कई गाड़ियां निरस्त Blog
  • Holi Special Trains : होली पर घर जाने पहले जान लें विशेष गाड़ियां Railway

Copyright © 2025 .

Powered by PressBook News WordPress theme