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महालया देवपितृकार्ये सर्वपितृ कार्ये शनैश्चरी अमावस्या 14 सितंबर को

Posted on September 16, 2023September 16, 2023 By Manish Srivastava No Comments on महालया देवपितृकार्ये सर्वपितृ कार्ये शनैश्चरी अमावस्या 14 सितंबर को

*🌞महालया देवपितृकार्ये सर्वपितृ कार्ये शनैश्चरी अमावस्या 14 सितंबर 2023 दिन शनिवार विशेष , पितृ विसर्जन अमावस्या का महत्व क्या है, पितृ विसर्जन अमावस्या पर कैसे करें पितरों की विदाई, अमावस्या पितरों की पूर्ण कृपा कैसे प्राप्त करें ,सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध का उत्तम समय और तारीख क्या है, तो आइए आज आपको इन सभी विषयो पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250** *🍁महालया अमावस्या पर देवताओं और पितरों की पूर्ण कृपा प्राप्त करें ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है । अमावस्या तिथि को हर तरफ घोर अन्धकार छाया होता है , ऐसे में यदि कोई मनुष्य नियमपूर्वक स्वच्छ वस्त्रधारण करके अमावस्या की रात्रि में कुछ स्थानों में दीपक का प्रकाश करें तो उस । जातक को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार मनुष्य पर मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण। इनमें पितृ ऋण को सबसे प्रमुख माना गया है।पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त । माता तथा परिवार के वह सभी दिवंगत सदस्य जो पितरों में शामिल हो गए है वह सभी पितृ ऋण में आते है ।पितृ ऋण से मुक्ति के लिए , पितरों की तृप्ति के लिए, उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर कुछ उपाय अवश्य ही करने चाहिए*।

*🌟शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में इन पाँच स्थानों में तेल का दीपक जलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है , माँ लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है*

*💥 हिंदू धर्म में तुलसी को सर्वाधिक पवित्र तथा माता स्वरुप माना जाता है। सामान्यता सभी हिन्दु परिवारों में तुलसी अवश्य ही मिलती है, तुलसी माँ को घर-घर में पूजा जाता हैं। भगवान श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों को तुलसी के बिना भोग सम्पूर्ण ही नहीं समझा जाता है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में तुलसी के निकट एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है एवं माँ लक्ष्मी भी उस घर को कभी भी छोड़ कर नहीं जाती है*।

*🌸हिन्दु धर्म शास्त्रों एवं वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार को बहुत साफ और सजा कर रखना चाहिए, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर एक एक दीपक अवश्य ही जलाएं, इससे घर में प्रेम, हर्ष – उल्लास और ऊर्जा का वातावरण बनता है, माँ लक्ष्मी की असीम कृपा बनती है* ।

*🌻शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में घर की छत पर भी एक दीपक अवश्य ही जलाएं इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है, घर में किसी भी अशुभ शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है ।अमावस की रात में घर की छत पर दीपक जलाने से माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है* ।

*🌲अमावस्या की रात्रि को सर्वत्र गहन अंधकार होता है। अमावस्या की गहन अँधेरी रात को घर के मंदिर में भी एक दीपक अवश्य ही जलाएं, इससे हमें अपने इष्ट देवता, कुल देवता और सभी देवताओं की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है घर धन धान्य से भरा रहता है*

*🌷पीपल पर देवताओं और पितरों दोनों का वास माना गया है अमावस्या की रात को पीपल के नीचे एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए इससे शनि, राहु – केतु का प्रकोप शान्त होता है, कुंडली के ग्रहों के शुभ फल मिलते है एवं पितरों की भी पूर्ण कृपा मिलती है। यदि पीपल का पेड़ किसी मंदिर में हो तो और भी उत्तम है*।

*🍁अमावस्या पर पितरों की पूर्ण कृपा कैसे प्राप्त करें*

*🏵पितरों को अमावस, का देवता माना गया है । शास्त्रों के अनुसार हर अमावस्या के दिन पितृ अपने घर अपने वंशजो के पास आते है और उनसे अपने निमित धर्म – कर्म, दान – पुण्य की आशा करते है। यदि हम उनके निमित अपने कर्तव्यों का पालन करते है तो वह प्रसन्न होते है और हमें उनका आशीर्वाद मिलता है ।*

*🌺यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है।*

*🌟हर अमावस के दिन एक ब्राह्मण को अपने घर पर बुलाकर प्रेम पूर्वक भोजन अवश्य ही कराएं। इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर – परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा।*

*🔥हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए । तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए*।

*💥पितृ दोष निवारण के लिये यदि कोई व्यक्ति अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करे तत्पश्चात् ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। , पितर प्रसन्न होते है एवं उनका पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और अगर सोमवती या शनि अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है।*

*🍁शास्त्रो के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पित्तर अपने घर पर आते है अतः इस दिन हर व्यक्ति को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए। इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।*

*🌷पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है। इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए*
*🌟प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए, इससे घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है । और पितरो का पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है ।*
*💥shri guru jyotish shodh sansthan *💥 देव पितृकार्ये पितृविसर्जन शनैश्चरी अमावस्या का महत्व क्या होता है*

*🏵महालया देवपितृकार्ये या सर्वपितृ शनैश्चरी अमावस्या 14 सितंबर 2023 दिन शनिवार को ही पड़ रही है जब पितरों की देहावसान तिथि अज्ञात हो तो पितरों की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करने का नियम है. यह बात भी सत्य है कि आप सभी पितरों की तिथि याद भी नहीं रख सकते. इसलिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को घर पर बुलाया जाता है और उन्हें भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है*

*☘ऐसी मान्यता है कि इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए. किसी पंडित या किसी गरीब को महालया के दिन दान करने से आने वाले संकट कट जाते हैं या टल जाते हैं*

*🌸अश्विन मास के कृष्णपक्ष का संबंध पितरों से होता है. इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है इस बार देवपितृकार्ये शनैश्वरी अमावस्या शनि अमावस्या पड़ रही है जो व्रत पूजा गंगा-स्नान करने वाले लोगों के लिए अत्यंत शुभ फलदायक मानी जाएगी खास तौर पर जिन लोगों की शनि की साडेसाती या शनि ढै़या चल रही है उन लोगों के लिए यह दिन विशेष वरदान के रूप में साबित होगा*

*🔸अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद ना किया गया हो तो सिर्फ अमावस्या को ही उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है*

*🌺ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या कि दिन यदि आप दान करें तो अमोघ फल होता है. साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है. कुंडली का राहु ही आपको पितरों के बारे में बताता है*

*🔥इस बार देवपितृकार्ये पितृ विसर्जन अमावस्या 14 सितंबर 2023 शनिवार को है. जिसे शनैश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या भी कहते हैं बता दें कि सर्वपितृ अमावस्या को महालय अमावस्या भी कहा जाता है.इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध या पिंडदान किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और चतुर्दशी तिथि को हुई हो. इसके अतिरिक्त जिन लोगों को अपने मृत परिवारजनों की तिथि याद नहीं रहती उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जा सकता है इस दिन जिन लोगों की शनि की साढ़ेसाती ढैय्या या खराब शनि महादशा या अंतर्दशा चल रही है उन लोगों को विशेष पूजा-अर्चना व दान पुण्य करके अपने कर्मों को (कार्यों को) सुधारने का सर्वोत्तम अवसर रहेगा क्योंकि देवपितृ कार्ये अमावस्या इन कार्यों के लिए सर्वोत्तम कही गई है*

*🏵पितृ विसर्जन अमावस्या: कैसे करें पितरों की विदाई*

*🌷ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों के दौरान पितर धरती पर उतरते हैं और अमावस्या के दिन उनकी विदाई की जाती है. इस दिन धरती पर आए सभी पितरों की विधिवत विदाई की जाती है और उनकी आत्मा की शांति के उपाय किए जाते हैं*

*⭐सुबह स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं. भोजन पूरी तरह से सात्विक होगा और इसमें लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं होगा. इसमें खीर-पूरी जरूर होना चाहिए*

*🌸भोजन कराने और श्राद्ध करने का समय मध्यान यानी दोपहर का होना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पंचबली जरूर दें. गाय को भोजन, कुत्ते के लिए, चींटी के लिए, कौआ के लिए और देवताओं के लिए भोजन निकाल दें. इसके बाद हवन करें. इतना करने के बाद आप ब्राह्मण को भोजन कराएं*

*🌟इसके बाद ब्राह्मण का तिलक करें और श्रद्धापूर्वक दक्षिणा देकर विदा करें. बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करें. पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें*

*💥पितरों की विदाई को लेकर एक मान्यता यह भी कि पितर अगर अपने परिवार की विदाई से प्रसन्न हुए तो अपने साथ उनकी सभी परेशानियां लेकर चले जाते हैं*

*🍁 देव पितृ कार्ये- सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध का समय और तारीख*
*🌻अमावस्या तिथि प्रारंभ 13 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार को रात्रि 09:51 से*
*🌻अमावस्या तिथि समाप्त – देवपितृ कार्ये अमावस्या,14 सितंबर 2023, शनिवार की रात्रि11:25 पर*

*🌲श्राद्ध करने का सही समय*
*♦कुतुप मुहूर्त = सुबह11:51 से 12:40 तक*
*♦रोहिण मुहूर्त = 12:40 से 13:29 तक*
*♦अपराह्न काल = 13:17 से 15:36 तक*
*⭐प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य गुरुदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250*

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