Skip to content

The Xpress News

  • Home
  • धर्म अध्यात्म
  • Health
  • Blog
  • Toggle search form
  • डॉक्टर मधुलिका शुक्ला
    सफलता का दूसरा नाम है डॉक्टर मधुलिका शुक्ला Health
  • MLAs had darshan of Shri Ram
    MLAs had darshan of Shri Ram : प्रभु श्रीराम की भक्ति में डूबे विधायक, दर्शनों के लिए सीएम योगी का जताया आभार Blog
  • Rail Coach Restaurant
    Rail Coach Restaurant : अब ट्रेन के डिब्बे में बैठकर रेस्टोरेंट के खाने का लीजिए मजा Railway
  • लोहड़ी पर्व
    Nag Panchami : पृथ्वी पर कैसे हुई नागों की उत्पत्ति, जानें प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदयरंजन शर्मा से धर्म अध्यात्म
  • गोमतीनगर-जयपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस
    गोमतीनगर-जयपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस कायमगंज स्टेशन पर रुकेगी, जानें समय Railway
  • Surya Namaskar Mahayagya
    Surya Namaskar Mahayagya : क्रीड़ा भारती ने सूर्य नमस्कार सप्ताह का किया भव्य शुभारंभ, देखें Vidieo Sports
  • वंदे भारत एक्सप्रेस
    नौकरी पेशा और विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगी नई वंदे भारत एक्सप्रेस Blog
  • Shravan month special
    भगवान श्रीकृष्ण की छठी पूजा 12 सितंबर को धर्म अध्यात्म

Chitragupta Maharaj Jayanti : चित्रगुप्त महाराज जयन्ती 3 नवंबर को, जानें पूजन विधि, मंत्र, कथा और आरती

Posted on November 2, 2024November 2, 2024 By Manish Srivastava No Comments on Chitragupta Maharaj Jayanti : चित्रगुप्त महाराज जयन्ती 3 नवंबर को, जानें पूजन विधि, मंत्र, कथा और आरती

Aligarh: चित्रगुप्त महाराज जयन्ती विशेष रविवार 03 नबम्वर 2024 के विषय में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरू रत्न भंडार वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा जी।

Chitragupta Maharaj Jayanti
Chitragupta Maharaj Jayanti

चित्रगुप्त महाराज की सामान्य पूजा विधि

🌺सबसे पहले पूजन एवं हवन सामग्री पर जल छिड़कते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
🌟नमस्तेस्तु चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते|
लेखनी-मसिपात्र, हस्ते, चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
🌻पूजा के लिए धूप, दीप, चन्दन, लाल फूल, हल्दी, रोली, अक्षत, दही, दूब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम, दावात, कागज, पान, सुपारी, गुड़, पांच फल, पांच मिठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन सामग्री एवं हवन के लिए लकड़ी आदि की जरूरत होती है.
यदि घर में शस्त्र हैं तो उनकी भी पूजा कर लेनी चाहिए. इसके बाद भगवान




श्रीचित्रगुप्त का आवाहन करें-

💥भगवान चित्रगुप्त का आह्वान मंत्रः
ॐ आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरौ भव।
यावत्पूजं करिष्यामि तावत्वं सान्निधौ भव|
ॐ भगवन्तं श्री चित्रगुप्त आवाहयामि स्थापयामि।।

💥(हे चित्रगुप्तजी मैं आपका आह्वान करता हूं. आप इस स्थान पर आखर विराजमान हों. मैं पूरे भक्तिभाव के साथ यथाशक्ति आपका पूजन करने को इच्छुक हूं. मैं भगवन आप मेरी पूजा को स्वीकार करने के लिए पधारें)

🌸इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम, दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्तजी के समक्ष रखें. परिवार के सभी सदस्य एक सफ़ेद कागज पर एप्पन (चावल का आटा,हल्दी,घी, पानी से मिलकर बना) व रोली से स्वस्तिक चिह्न बनाएं।

🌸स्वस्तिक के नीचे पांच देवी देवता के नाम लिखें. उसके नीचे लाल स्याही से भगवान श्री चित्रगुप्त का उपासना मंत्र लिखना चाहिए।

भगवान चित्रगुप्त उपासना मंत्रः
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
💥मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले।
लेखनी कटिनी हस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखक अक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नमोस्तुते ||

💥मंत्र लिखने के बाद उसी कागज पर नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें. दूसरी तरफ अपनी आय-व्यय का विवरण दें. अगले वर्ष के लिए आवश्यक धन हेतु भगवान से प्रार्थना करें. फिर अपने हस्ताक्षर करके कागज को मोड़कर रख दें जिसे पूजा के बाद जल में प्रवाहित कर दें।

💥इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें. इसके बाद श्रीचित्रगुप्त पूजन कथा सुननी चाहिए. कथा सुनने के बाद आरती-हवन करें और प्रसाद ग्रहण करें।




भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन कथा
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
💥भीष्म पितामह ने पुलस्त्य मुनि से पूछा कि हे महामुनि संसार में कायस्थ नाम से विख्यात मनुष्य किस वंश में उत्पन्न हुए हैं तथा किस वर्ण में कहे जाते हैं, इसे मैं जानना चाहता हूँ. इस प्रकार के वचन कहकर भीष्म पितामह ने पुलस्त्य मुनि से इस पवित्र कथा को सुनने की इच्छा जाहिर की।

💥पुलस्त्य मुनि ने प्रसन्न होकर गंगा पुत्र भीष्म पितामह से कहा – हे गांगेय मैं कायस्थ उत्पत्ति की पवित्र कथा का वर्णन आपसे करता हूं. जो इस जगत का पालनकर्ता है वही फिर नाश करेगा उस अव्यक्त शांत पुरुष लोक- पितामह ब्रम्हा ने जिस तरह पूर्व में इस संसार की कल्पना की है वही वर्णन मैं कर रहा हूँ.

💥मुख से ब्राम्हण, बाहु से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य, पैर से शूद्र, दो पांव, चार पांव वाले पशुओं से लेकर समस्त सर्पादि जीवो का एक ही समय में चन्द्रमा, सूर्यादि ग्रहों को और बहुत से जीवों को उत्पन्न कर ब्रम्हा ने सूर्य के समान तेजस्वी ज्येष्ठ पुत्र को बुलाकर कहा- हे सुब्रत तुम यत्नपूर्वक इस जगत की रक्षा करो।

💥सृष्टि का पालन करने के लिए ज्येष्ठ पुत्र को आज्ञा देकर ब्रम्हा ने एकाग्रचित होकर दस हजार वर्ष की समाधि लगाई. अंत में विश्रांत चित्त हुए. उसके उपरांत ब्रम्हा के शरीर से बड़ी-बड़ी भुजाओं वाले श्यामवर्ण, कमलवत गर्दन, चक्रवत तेजस्वी, अति बुद्धिमान, हाथ में कलम-दवात लिए तेजस्वी, अतिसुन्दर विचित्रांग, स्थिर नेत्र वाले, एक पुरुष अव्यक्त जन्मा, जो ब्रम्हा के शरीर से उत्पन्न हुआ।

💥हे भीष्म! उस अव्यक्त पुरुष को नीचे से ऊपर तक देखने के बाद ब्रम्हाजी ने समाधि छोडकर पूछा- हे पुरुषोत्तम हमारे सामने स्थित आप कौन हैं. ब्रम्हा का यह वचन सुनकर वह पुरुष बोला- हे विधे में आप ही के शरीर से उत्पन्न हुआ हूं इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है. हे तात अब आप मेरा नामकरण करें और मेरे योग्य कार्य भी कहिये।

💥यह वाक्य सुनकर ब्रम्हाजी निज शरीर रज पुरुष से प्रसन्न मुद्रा से बोले- मेरे शरीर से तुम उत्पन्न हुए हो इससे तुम्हारी कायस्थ संज्ञा है और पृथ्वी पर चित्रगुप्त तुम्हारा नाम विख्यात होगा. हे वत्स धर्मराज की यमपुरी में धर्म-अधर्म विचार के लिए तुम्हारा निश्चित निवास होगा. हे पुत्र! अपने वर्ण में जो उचित धर्म है उसका विधिपूर्वक पालन करो और संतान उत्पन्न करो

💥इस प्रकार ब्रम्हा जी भार युक्त वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए. श्री पुलस्त्य मुनि ने कहा है- हे भीष्म चित्रगुप्त से जो प्रजा उत्पन्न हुई है, उसका भी वर्णन करता हूँ, सुनिये

💥चित्रगुप्त का प्रथम विवाह सूर्य नारायण के बड़े पुत्र श्राद्धदेव मुनि की कन्या नंदिनी एरावती से हुआ. इनसे चार पुत्र उत्पन्न हुए. प्रथम भानु जिनका नाम धर्मध्वज है जिसने श्रीवास्तव कायस्थ वंश की वृद्धि की।

💥द्वितीय पुत्र मतिमान जिनका नाम समदयालु है जिनसे सक्सेना वंश चला. तृतीय पुत्र चारु जिनका नाम युगन्धर है, इनसे माथुर कायस्थ वंश शुरू हुआ. चतुर्थ पुत्र सुचारू जिनका नाम धर्मयुज है उनसे गौड कायस्थ वंश बढ़ा।

💥चित्रगुप्तजी का दूसरा विवाह सुशर्मा ऋषि की कन्या शोभावती से हुआ. इनसे आठ पुत्र हुए. प्रथम पुत्र करुण जिनका नाम सुमति है उनसे कर्ण कायस्थ हुए. द्वितीय पुत्र चित्रचारू जिनका नाम दामोदर है, उनसे निगम कायस्थ हुए.
तृतीय पुत्र का नाम भानुप्रकाश है जिनसे भटनागर कायस्थ हुए. चतुर्थ युगन्धर से अम्बष्ठ कायस्थ, पंचम पुत्र वीर्यवान जिनका नाम दीन दयालु है से अस्थाना कायस्थ छठे पुत्र जीतेंद्रीय जिनका नाम सदानन्द है से कुलश्रेष्ठ कायस्थ वंश चले. अष्टम पुत्र विश्वमानु जिनका नाम राघवराम है से बाल्मीक कायस्थ हुए.

💥हे भीष्म चित्रगुप्त से उत्पन्न सभी पुत्र सभी शास्त्रों में निपुण थे और धर्म-अधर्म को जानने वाले थे. श्रीचित्रगुप्त ने सभी पुत्रों को पृथ्वी पर भेजा और धर्म साधना की शिक्षा दी और कहा की तुम्हें देवताओं का पूजन, पितरों का श्राद्ध-तर्पण, ब्राम्हणों का पालन-पोषण और अभ्यागतों की यत्नपूर्वक श्रद्धा करना।




💥हे पुत्र तीनो लोकों के हित के लिए यत्नकर धर्म की कामना करके महर्षिमर्दिनी देवी का पूजन अवश्य करना जो प्रकृति स्वरूप हैं और चण्ड मुण्ड का नाश करने वाली तथा समस्त सिद्धियों को देने वाली है. ऐसी देवी के लिए तुम सब उत्तम मिष्ठानादि समर्पण करो जिससे वह चण्डिका देवताओं की भाँती तुमको भी सिद्ध देने वाली हों।

💥वैष्णव धर्म का निर्वाह करते हुए मेरे वाक्य का पालन करो. सभी पुत्रों को आज्ञा देकर चित्रगुप्त स्वर्गलोक चले गये स्वर्ग जाकर चित्रगुप्त धर्मराज के अधिकार में स्थित हुए. हे भीष्म इस प्रकार चित्रगुप्त की उत्पत्ति मैंने आपसे कही।

💥अब मैं उन लोगों का विचित्र इतिहास और चित्रगुप्त का जैसा प्रभाव उत्पन्न हुआ सो भी कहता हूँ. श्री पुलस्त्य मुनि बोले कि नित्य पाप कर्म में रत पृथ्वी पर सौदास नामक राजा हुआ. उस पापी दुराचारी तथा धर्म-कर्म से रहित राजा ने जिस प्रकार स्वर्ग में जाकर पुण्य के फल का भोग किया वह कथा सुना रहा हूं.

💥राजनीति को नहीं जानते हुए राजा ने अपने राज्य में ढिंडोरा पिटवा दिया कि दान-धर्म, हवन, श्राद्ध-तर्पण, अतिथियों का सत्कार, जप-नियम तथा तप मेरे राज्य में कोई ना करे. देवी आदि की भक्ति में तत्पर वहां के निवासी ब्राम्हण लोग उसके राज्यों को छोड़ अन्य राज्यों में चले गये।

💥जो रह गये वे यज्ञ हवन श्रद्धा तथा तर्पण कभी नहीं करते थे. हे गंगापुत्र तबसे उसके राज्य में कोई भी यज्ञ हवन आदि पुण्य कर्म नहीं कर पाता था. उस समय पुण्य उस राज्य से ही बाहर हो गया था. ब्राम्हण तथा अन्य वर्ण के लोग नाश करने लगे. अब आपको उस दुष्ट राजा का कर्म फल सुनाता हूँ।

💥हे भीष्म! कार्तिक शुक्ल पक्ष की उत्तम तिथि द्वितीय को पवित्र होकर सभी कायस्थ चित्रगुप्त का पूजन करते थे. वे भक्तिभाव से परिपूर्ण होकर धूप-दीप आदि कर रहे थे. देवयोग से राजा सौदस भी घूमता हुआ वहां पहुंचा और पूजन देखकर पूछने लगा यह किसका पूजन कर रहे हो।

💥तब वे लोग बोले कि राजन हम लोग चित्रगुप्त की शुभ पूजा कर रहे हैं. दैवयोग से यह सुनकर राजा सौदस के मन में पूजा ने कहा कि मैं भी चित्रगुप्त की पूजा करूँगा।

💥यह कहकर सौदास ने विधिपूर्वक स्नानादि करके मन से चित्रगुप्त की पूजा की. इस भक्तियुक्त पूजा करने से उसी क्षण राजा सौदस पापरहित होकर स्वर्ग चला गया।

💥इस प्रकार चित्रगुप्त का प्रभावशाली इतिहास मैंने आपसे कहा. अब हे नृपश्रेष्ठ और क्या सुनने की आपकी इच्छा है? यह सुनकर भीष्म पितामह ने महर्षि पुलस्त्य मुनि से कहा- हे मुनिवर किस विधि से वहां उस राजा सौदस ने चित्रगुप्त का पूजन किया जिसके प्रभाव से सौदास स्वर्ग लोक को चला गया, वह कहें।

💥श्रीपुलस्त्य मुनि बोले- हे भीष्म! चित्रगुप्त के पूजन की संपूर्ण विधि मैं आप से कह रहा हूं. घृत से बने नैवेध, ऋतुफल, चन्दन, पुष्प, दीप तथा अनेक प्रकार के रेशमी और विचित्र वस्त्र से, शंख मृदंग, डिमडिम अनेक बाजे के साथ भक्तिभाव से पूजन करें।

💥हे विद्वान नवीन कलश लाकर जल से परिपूर्ण करें। उस पर शक्कर भरा कटोरा रखें और यत्नपूर्वक पूजनकर ब्राम्हण को दान देवें। तथा पूजन का मंत्र भी इस प्रकार पढ़े।

💥दवात कलम और हाथ में खल्ली लेकर पृथ्वी में घूमने वाले हे चित्रगुप्त आपको नमस्कार हे चित्रगुप्त आप कायस्थ जाति में उत्पन्न होकर लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं जिसको आपने लिखने की जीविका दी है। आप उनका पालन करते हैं इसलिए मुझे भी शांति दीजिए।
💥हे भीष्म इन मंत्रों से संकल्पपूर्वक चित्रगुप्त का पूजन करना चाहिए। इस प्रकार राजा सौदास ने भक्तिभाव से पूजन कर निजराज्य का शासन करता हुआ कुछ ही समय में मृत्यु को प्राप्त हुआ। यमदूत राजा सौदास को भयानक यमलोक में ले गए। चित्रगुप्त ने यमराज से पूछा कि यह दुराचारी पाप कर्मरत सौदास राजा है जिसने अपनी प्रजा से पापकर्म करवाया है। इसके लिए कठोरतम दंड का विधान होना चाहिए।

💥इस प्रकार धर्मराज से पूछे जाने पर धर्माधर्म को जानने वाले महामुनि चित्रगुप्त जी ने हंसकर उस राजा के लिए धर्मयुक्त शुभ वचन कहा- हे धर्मराज, यह राजा यद्यपि पापकर्म करने वाला पृथ्वी में प्रसिद्ध है और मैं आपकी प्रसन्नता से पृथ्वी पर पूज्य हूं। हे स्वामिन आपने ही मुझे वह वर दिया है। आपका सदैव कल्याण हो। आपको नमस्कार है. हे देव आप भली-भांति जानते हैं और मेरी भी मति है कि यह राजा पापी है तब भी इस राजा ने भक्तिभाव से मेरी पूजा की है इससे मैं इससे प्रसन्न हूं. हे इष्टदेव इस कारण यह राजा बैकुंठ लोक को जाए। चित्रगुप्त का यह वचन सुनकर यमराज ने राजा सौदास को बैकुंठ जाने की आज्ञा दी और राजा सौदास बैकुंठ लोक को चला गया. श्री पुलस्त्य मुनि ने कहा- हे भीष्म जो कोई सामान्य पुरुष या कायस्थ चित्रगुप्त की पूजा करेगा वह भी पाप से छूटकर परमगति को प्राप्त करेगा।
हे गांगेय, आप भी सर्वविधि से चित्रगुप्त की पूजा करिए जिसकी पूजा करने से हे राजेन्द्र आप भी दुर्लभ लोक को प्राप्त करेंगे। पुलस्त्य मुनि के वचन सुनकर भीष्म ने भक्ति मन से चित्रगुप्त की पूजा की। चित्रगुप्त की दिव्य कथा को जो श्रेष्ठ मनुष्य भक्ति मन से सुनेगे वे मनुष्य समस्त व्याधियों से छूटकर दीर्घायु होंगे और मरने पर जहाँ तपस्वी लोग जाते हैं, ऐसे विष्णु लोक को जाएंगे।

श्रीचित्रगुप्त महाराज की जय!!
चित्रगुप्त भगवान की आरती जिसे पूजा के उपरांत अवश्य कर लेना चाहिए।

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम शरणागतम।
जय पूज्य पद पद्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे।
कर्मेश तव धर्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनी धारी विभो।
जय श्याम तन चित्रेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
पुरुषादि भगवत अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय।
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के।
जय शांतिमय न्यायेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
तव नाथ नाम प्रताप से, छुट जायें भय त्रय ताप से।
हों दूर सर्व क्लेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
हों दीन अनुरागी हरि, चाहे दया दृष्टि तेरी।
कीजै कृपा करुणेश तव, शरणागतम शरणागतम।।




अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पं.हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरू रत्न भण्डार वाले पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़ यूपी. व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250*

Festival Tags:Chitragupta Maharaj Jayanti

Post navigation

Previous Post: Govardhan Puja : गोवर्धन की पूजा विधि, पूजा सामग्री और प्राचीन कथा Govardhan Puja worship method, worship material and ancient story
Next Post: Railway : कानपुर लोको शाखा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने ग्रहण की NCRES की सदस्यता

Related Posts

  • लोहड़ी पर्व
    Bhai Dooj : आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज, जानें शुभ मुहूर्त, कथा Why is Bhai Dooj celebrated, know the auspicious time and story Festival
  • Nautapa-2025
    Dhanteras 2024 : सोना-चांदी के साथ में इन चीजों को खरीदना न भूलें, Do not forget to buy these things along with gold and silver Festival
  • Kartik Purnima
    Dhanteras : अपनी राशियों के अनुसार जाने धनतेरस पर करें खरीदारी, Know what to shop on Dhanteras according to your zodiac sign Festival
  • मकर संक्रांति
    Diwali : श्री गणेश महालक्ष्मी पूजन दिन और रात के शुभ लग्न मुहूर्त, पूजा, विधि, Shri Ganesh Mahalakshmi Puja auspicious time of day and night worship method Festival
  • Kartik Purnima
    Govardhan Puja : गोवर्धन की पूजा विधि, पूजा सामग्री और प्राचीन कथा Govardhan Puja worship method, worship material and ancient story Festival
  • कार्तिक पूर्णिमा
    Dhanteras 2024 : धनतेरस पूजा करने से लक्ष्मीजी ठहर जाती हैं घर में, इन चीजों की करें खरीदारी Festival

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • डॉक्टर मधुलिका शुक्ला
    सफलता का दूसरा नाम है डॉक्टर मधुलिका शुक्ला Health
  • MLAs had darshan of Shri Ram
    MLAs had darshan of Shri Ram : प्रभु श्रीराम की भक्ति में डूबे विधायक, दर्शनों के लिए सीएम योगी का जताया आभार Blog
  • Rail Coach Restaurant
    Rail Coach Restaurant : अब ट्रेन के डिब्बे में बैठकर रेस्टोरेंट के खाने का लीजिए मजा Railway
  • लोहड़ी पर्व
    Nag Panchami : पृथ्वी पर कैसे हुई नागों की उत्पत्ति, जानें प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदयरंजन शर्मा से धर्म अध्यात्म
  • गोमतीनगर-जयपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस
    गोमतीनगर-जयपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस कायमगंज स्टेशन पर रुकेगी, जानें समय Railway
  • Surya Namaskar Mahayagya
    Surya Namaskar Mahayagya : क्रीड़ा भारती ने सूर्य नमस्कार सप्ताह का किया भव्य शुभारंभ, देखें Vidieo Sports
  • वंदे भारत एक्सप्रेस
    नौकरी पेशा और विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगी नई वंदे भारत एक्सप्रेस Blog
  • Shravan month special
    भगवान श्रीकृष्ण की छठी पूजा 12 सितंबर को धर्म अध्यात्म

Copyright © 2025 .

Powered by PressBook News WordPress theme