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Shradh 2023 : श्राद्ध में तर्पण से मिलता है पूर्वजों का आशीर्वाद, जानें अनुष्ठान, विशष स्थान, रखें एहतियात

Posted on October 4, 2023October 4, 2023 By Manish Srivastava No Comments on Shradh 2023 : श्राद्ध में तर्पण से मिलता है पूर्वजों का आशीर्वाद, जानें अनुष्ठान, विशष स्थान, रखें एहतियात

अलीगढ़ (Shradh 2023 🙂 : श्राद्ध  हिंदु धर्म में बहुत ही अधिक महत्तव रखते हैं। श्राद्ध के दौरान किसी भी तरह के नए काम नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा बहुत सी अन्य बातों का ख्याल भी रखा जाता है। श्राद्ध हमें मौका देते है कि हम अपने पूर्वजों का विशेष आशीर्वाद उनकी पूजा करके प्राप्त कर सकें। जो लोग श्राद्ध में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं करते हैँ उन्हें उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। इस विषय में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा (Pt Hriday Ranjan Sharma) अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरू रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़।




♦श्राद्ध का अनुष्ठान (Shraddha ritual)
🌟हिंदू धर्म में, श्राद्ध अनुष्ठान एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है। इस दिन, भक्त अपने मृत पूर्वजों की आत्माओं के लिए उन्हें मुक्ति और शांति प्रदान करने के लिए पूजा-पाठ और अन्य अनुष्ठान करते हैं। श्राद्ध पूजा पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में अश्विन के महीने में श्पितृ पक्ष (पूर्वजों के लिए समर्पित पखवाड़े), कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का वानपन चरण) के दौरान किया जाता है।

♦श्राद्ध करने से क्या होता है (What happens by performing Shraddha)
🌻मृतक परिवार के सदस्य (माता पिता, पत्नी, दादा, दादी, चाचा चाची आदी) का श्राद्ध समारोह भरणी तपस्या के साथ-साथ तिथि पर भी किया जा सकता है। जिस दिन उस सदस्य की वास्तविक मृत्यु हुई हो उसे तिथि कहा जाता है। इस अनुष्ठान को करने से मृतकों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और परिवार के सदस्यों का विशेष आशीर्वाद मिलता है और उन्हें अनंत काल में शांति प्राप्त होती है।

♦श्राद्ध करने के लिए विशेष स्थान (Special place to perform Shraddha)
🔥हिंदू भक्त आमतौर पर काशी (वाराणसी), गया और रामेश्वरम में भरणी श्राद्ध करते हैं क्योंकि इन स्थानों का एक विशेष स्थान है। भरणी श्राद्ध करने का शुभ समय कुतप मुहूर्त और रोहिणी आदि मुहूर्त होता है, उसके बाद जब तक अपरान्ह पर्व समाप्त नहीं हो जाता। तर्पण (तर्पण) श्राद्ध के अंत में किया जाता है।

♦भरणी श्राद्ध के दौरान अनुष्ठान (Rituals during Bharani Shraddha)
🌲पवित्र ग्रंथों के अनुसार, इस श्राद्ध को पवित्र नदियों के किनारे या पवित्र और आकाशीय स्थानों जैसे गया, कासी, प्रयाग, कुरुक्षेत्र, नैमिषारण्य, रामेश्वरम आदि में करने का सुझाव दिया गया है। भरणी नक्षत्र श्राद्ध सामान्य रूप से व्यक्ति की मृत्यु के बाद एक बार किया जाता है, हालांकि श्धर्मसिंधुश् के अनुसार यह प्रत्येक वर्ष किया जा सकता है। इस अनुष्ठान को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए पालन करने वाले व्यक्ति को अनुष्ठान की पवित्रता को बनाए रखना चाहिए।

♦श्राद्ध में क्या ना करें (What not to do in Shraddha)
🌸व्यक्ति, विशेष रूप से परिवार में पुरुष मुखिया मृत आत्मा की संतुष्टि और मुक्ति के लिए कई संस्कार और पूजा करते हैं। भरणी श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को बाल कटाने, दाढ़ी रखने से बचना चाहिए और अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए

🌹श्राद्ध में किन्हें खाना खिलाना शुभ माना जाता है (Who is considered auspicious to feed during Shraddha)
🍁यह अनुष्ठान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्राह्मणों द्वारा खाया गया भोजन, मृत आत्माओं तक पहुंचता है। तर्पण ’के पूरा होने के बाद, ब्राह्मणों को सात्विक’ भोजन, मिठाई, कपड़े और दक्षिणा दी जाती है। भरणी श्राद्ध पर, कौवे को भी वही भोजन खिलाना चाहिए, क्योंकि उन्हें भगवान यम का दूत माना जाता है। कौवा के अलावा, कुत्ते और गाय को भी खिलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि धार्मिक रूप से और पूरी श्रद्धा के साथ भरणी श्राद्ध अनुष्ठान करने से मुक्त आत्मा को शांति मिलती है और वे बदले में अपने वंशजों को शांति, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करते हैं




🌟भरणी श्राद्ध का महत्व (Importance of Bharani Shraddha)
🌷हिन्दु धर्म में पुरणों का बहुत ही अधिक महत्तव है। भरणी श्राद्ध और श्राद्ध पूजा के अन्य रूपों के महत्व का उल्लेख कई हिंदू पुराणों जैसे श्मतिसा पुराणश्, श्अग्नि पुराणश् और श्गरुड़ पुराणश् में किया गया है और इससे यह पता चलता है कि यह कितना महत्वपूर्ण है

🌻पितृ पक्ष के दौरान भरणी श्राद्ध एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है और इसे श्महारानी श्राद्धश् के नाम से भी जाना जाता है। आपमें से कई लोग इसका कारण जानना चाहते होगें कि ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए है क्योंकि यम मृत्यु के देवता और इसी कारण इसे महारानी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता हैं

🔥यह कहा गया है कि भरणी श्राद्ध का गुण गया श्राद्ध के समान ही है इसीलिए इसकी अवहेलना कतई नहीं करनी चाहिये। इसके अलावा यह माना जाता है कि भरणी तपस्या के दौरान एक चतुर्थी या पंचमी तिथि को पैतृक संस्कार करना एक बहुत ही विशेष महत्व रखता है। महालया अमावस्या के बाद, पितृ श्राद्ध अनुष्ठान के दौरान यह दिन सबसे अधिक मनाया जाता है।




अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें…
♦प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250

Blog Tags:Importance of Bharani Shraddha, Pt Hriday Ranjan Sharma, Shradh 2023

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