लखनऊ : परिवर्तन संसार का नियम है। हमारे समाज में लगातार परिवर्तन देखने को मिले हैं। चाहे वो खान-पान हो या फिर रहन सहन। समय के साथ-साथ हर जिले व शहर में लोगों की सोच में बदलाव के साथ ही उनके पहनावे में भी काफी अंतर देखने को मिला है। इन बदलावों के बाद भी हमारी संस्कृति से जुड़े परिधान आज भी इस आधुनिक जमाने में अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं।
नवाबी शहर लखनऊ की रहने वाली अहाना मिश्रा (Ahana Mishra) ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हाईटेक जमाने में आज बहुत से कपड़े आ गए हैं, लेकिन आज भी साड़ी में जो बात है वो किसी और कपड़े में नहीं। इसलिए विशेष अवसरों पर साड़ी पहनने से विशेष छवि बनती है। मैं जब घर और परिवार के अलावा विशेष आयोजन में साड़ी पहनना पसंद करती हूं। कुल मिलाकर साड़ी पहनने से लखनवी अंदाज में चार चांद लग जाते हैं।
महिलाओं के परिधान की बात की जाए तो “साड़ी” एक ऐसा पहनावा है जिो देश ही नहीं पूरी दुनिया में आज भी बहुत पसंद किया जाता है। “साड़ी” को भारतीय समाज में विशेष स्थान दिया गया है। जब भी कोई खास अवसर या त्योहार होता है, लड़कियां और महिलाएं अधिकतर साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं। इसीलिए “साड़ी” सिर्फ एक परिधान ही नहीं, हमारी परंपरा भी है। यही वजह है कि वर्षों तक परदादी, दादी और मां की साड़ियां अगली पीढ़ी को दी जाती रही है और इसे हमेशा सहेजा गया है।
“साड़ी” को आप जिस रूप में पहने, ये सौंदर्य को निखारने का काम करती है। भारत में तो इसे एक तरह से अघोषित राष्ट्रीय परिधान भी कह सकते हैं। हजारों प्रकार की साड़ियां हमारे देश में उपलब्ध हैं। जयपुरी साड़ियां, बनारसी सिल्क, कांजीवरम, चंदेरी, माहेश्वरी, पोचमपल्ली, तांतकी, पैठणी सहित हर प्रांत की अपनी खास साड़ी होती है। प्रिंट और डिजाइन के आधार पर लाखों तरह की साड़ियां बाजार में उपलब्ध हैं। अपने मनपसंद कपड़े, रंग और प्रिंट की साड़ियां आपको कुछ सौ रुपये से लेकर लाखों तक में मिल जाएगी। इसे पहनने के भी सैंकड़ों तरीके हैं।
“साड़ी” के विषय में आम लड़की या महिला किस परिधान को ज्यादा तरजीह देती हैं, उसके प्रति उनकी क्या सोच है और उसे पहने के पीछे मूलतः: क्या कारण है।इसके लिए कुछ शहरों में सर्वे किया गया। हर क्षेत्र की कामकाजी व घरेलू महिलाओं ने अपने अनुभव को साझा करते हुए यही कहा कि फैशन की दुनिया में हजारों आधुनिक और महंगे कपड़े आ चुके हैं, लेकिन जो “साड़ी” में बात है वो किसी और में कहा।
