Skip to content

The Xpress News

  • Home
  • धर्म अध्यात्म
  • Health
  • Blog
  • Toggle search form
  • Kanpur Polytechnic
    Kanpur Polytechnic : पाॅलीटेक्निक छात्र नौकरी देने वाले बनें, न कि लेने वाले Education
  • द्वितीय कॉस्को कानपुर डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन चैंपियनशिप में हुए रोमांचक मुकाबले Sports
  • Indian Railways
    Indian Railways : पांच साल की उम्र में महज 12 घंटे में कानपुर से दिल्ली जाकर लौटा, अनोखा रिकॉर्ड Blog
  • होम्योपैथिक दवा से त्वचा रोग ठीक होने पर दाग भी नहीं पड़ते : डॉ. मधुलिका शुक्ला Health
  • High Court Lucknow
    High Court Lucknow : सौर ऊर्जा से जगमगाएगा नया हाईकोर्ट परिसर, योगी सरकार ने शुरू की तैयारी UP Government News
  • भावना रोकड़े
    कड़े संघर्ष के बाद मैंने मुकाम हासिल किया : भावना रोकड़े Motivation
  • National Sports Day: रस्साकसी प्रतियोगिता में जमकर हुई जोरआजमाइश Sports
  • बुलंद हौसलों से अंतरराष्ट्रीय बाडी बिल्डर बनीं नंदिता रावत Health
Shri Hanuman Jayanti

Shri Hanuman Jayanti : हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को, जब हनुमान जी गए शिक्षा ग्रहण करने

Posted on April 7, 2025April 7, 2025 By Manish Srivastava No Comments on Shri Hanuman Jayanti : हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को, जब हनुमान जी गए शिक्षा ग्रहण करने

12 अप्रैल दिन शनिवार श्री हनुमान जन्मोत्सव (Shri Hanuman Jayanti) विशेष,सूर्य देव कैसे बने श्रीहनुमान जी के गुरुतो आइए आज आपको इस विषय पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा.9756402981,7500048250

शिक्षा ग्रहण करने के लिए हनुमान जी को माता अंजनादेवी ने किसके पास भेजा
भगवान हनुमानजी जिनसे सभी बल, बुद्धि,बिद्या देने की कामना करते हैं। हनुमानजी की शिक्षा के लिए उनकी माता कितनी चिंतित थी ये तो उनका इतिहास पढ़ने से ही पता चलता है। कई एसी पौराणिक कथाएं है जिनसे हम उनके बारे में पढ़ सकते हैं। जैसे माता अखिल ब्रह्माण्ड की अदम्य शक्ति स्वरूपा होती है। समग्र सृष्टि का स्वरूप माता की गोद में ही अंकुरित, पल्लवित, पुष्पित एवं विकसित होता है। विश्व का उज्ज्वल भविष्य माता के स्नेहांचल में ही फूलता-फलता है। यदि कहा जाए कि निखिल संसार की सर्जना-शक्ति माता है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

बालक जन्म से पूर्व गर्भ में ही माता से संस्कार ग्रहण करने लग जाता है और जन्म के बाद वह माता के संस्कार का अनुगामी हो जाता है। बालक के बचपन का अधिकांश समय माता की वात्सल्यमयी छाया में ही व्यतीत होता है। करणीय-अनुकरणीय, उचित-अनुचित, हित-अहित सभी संस्कारों का प्रथमाक्षर वह माता से ही सीखता है।

सन्तान के चरित्र-निर्माण में माता की भूमिका आधारशिलास्वरूप है इसीलिए महीयसी “माता को प्रथम गुरु” का सम्मान दिया गया है। अंजनादेवी परम सदाचारिणी, तपस्विनी एवं सद्गुण-सम्पन्न आदर्श माता थीं। वे अपने पुत्र श्रीहनुमानजी को श्लाघनीय तत्परता से आदर्श बालक का स्वरूम प्रदान करने की दिशा में सतत जगत और सचेष्ट रहती थीं। पूजनोपरान्त और रात्रि में शयन के पूर्व वे अपने प्राणाधिक प्रिय पुत्र को पुराणों की प्रेरणाप्रद कथाएं सुनाया करतीं थीं। वे आदर्श पुरुषों के चरित्र श्रीहनुमानजी को पुनः-पुनः सुनातीं और अपने पुत्र का ध्यान उनकी ओर आकृष्ट करती रहतीं।




माता अंजनादेवी जब भगवान् श्रीरामजी के अवतार की कथा सुनाना प्रारम्भ करतीं, तब बालक श्रीहनुमानजी का सम्पूर्ण ध्यान उक्त कथा में ही केन्द्रित हो जाता। निद्रा एवं क्षुधा उनके लिए कोई अर्थ नहीं रखतीं। सहजानुराग से श्रीहनुमानजी पुनः-पुनः श्रीराम-कथा का श्रवण करते और खो जाते । माता को चिंता सताने लगी। श्री हनुमानजी की आयु भी विद्याध्ययन के योग्य हो गई थी। माता अंजनीदेवी एवं वानरराज केसरी ने विचार किया- ‘अब हनुमान को विद्यार्जन के निमित्त किसी योग्य गुरु के हाथ सौंपना ही होगा। अतएव माता अंजना और कपीश्वर केसरी ने श्रीहनुमानजी को ज्ञानोपलब्धि के लिए गुरु-गृह भेजने का निर्णय किया।

अपार उल्लास के साथ माता-पिता ने अपने प्रिय श्रीहनुमानजी का उपनयन-संस्कार कराया और उन्हें विद्यार्जन के लिए गुरु-चरणों की शरण में जाने का स्नेहिल आदेश किया, पर समस्या यह थी कि श्रीहनुमानजी किस सर्वगुण-सम्पन्न आदर्श गुरु का शिष्यत्व अंगीकृत करें। माता अंजना ने प्रेमल स्वर में कहा- ‘‘पुत्र ! सभी देवताओं में आदि देव भगवान् भास्कर को ही कहा जाता है और फिर, सकलशास्त्रमर्मज्ञ भगवान् सूर्यदेव तुम्हें समय पर विद्याध्ययन कराने का कृपापूर्ण आश्वासन भी तो दे चुके हैं। अतएव, तुम उन्हीं के शरणागत होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शिक्षार्जन करो।’’

श्रीहनुमानजी माता-पिता के श्रीचरणों में अपने प्रणाम सादर निवेदित कर आकाश में उछले तो सामने “सूर्यदेव के सारथि अरुण” मिले। श्रीहनुमानजी ने पिता का नाम लेकर अपना परिचय दिया और अरुण ने उन्हें अंशुमाली के पास जाने को कहा। आंजनेय ने अतीव श्रद्धापूर्वक भगवान् सूर्यदेव के चरणों का स्पर्श करते हुए उन्हें अपना हार्दिक नमन निवेदित किया।

विनीत श्रीहनुमानजी को बंद्धाजलि खड़े देख भगवान् भुवनभास्कर ने स्नेहिल शब्दों में पूछा- ‘बेटा ! आगमन का प्रयोजन कहो।’ श्रीहनुमानजी ने विनम्र स्वर में निवेदन किया- ‘प्रभो ! मेरा यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाने पर माता ने मुझे आपके चरणों में विद्यार्जन के लिए भेजा है। आप कृपापूर्वक मुझे ज्ञानदान कीजिए।’ सूर्यदेव बोले- ‘‘बेटा ! मुझे तुम्हें अपना शिष्य बनाने में अमित प्रसन्नता होगी, पर तुम तो मेरी स्थिति देखते ही हो। मैं तो अहर्निश अपने रथ पर सवार दौड़ता रहता हू। सूर्यदेव की बात सुनकर पवनात्मज बोले-‘प्रभो ! वेगपूर्वक चलता आपका रथ कहीं से भी मेरे अध्ययन को बाध्त नहीं कर सकेगा। हां आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। मैं आपके सम्मुख रथ के वेग के साथ ही आगे बढ़ता रहंगा।’

श्रीहनुमानजी सूर्यदेव की ओर मुख करके उनके आगे-आगे स्वभाविक रूप में चल रहे थे।

भानुसों पढ़न हनुमान गए भानु मन, अनुमानि सिसुकेलि कियो फेरफार सो।
पाछिले पगनि गम गगन मगन-मन, क्रम को न भ्रम, कपि बालक-बिहार सो।।




सूर्यदेव को ये देख हैरानी नहीं हुई क्योंकि वे जानते थे कि हनुमानजी खुद बुद्धिमान हैं लेकिन प्रथा के अनुसार गुरु द्वारा शिक्षा गृहण करना जरुरी है इसलिए सूर्यदेव ने कुछ ही दिनों में उन्हें कई विद्याएं सिखा दी जिससे वे विद्वान कहलाएं।

🌞 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250

धर्म अध्यात्म Tags:Shri Hanuman Jayanti

Post navigation

Previous Post: Kamada Ekadashi Vrat : पंडित हृदयरंजन शर्मा से जाने कामदा एकादशी व्रत का महत्व
Next Post: Sri Hanuman Jayanti: श्री हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि जानें पंडित हृदय रंजन शर्मा जी से

Related Posts

  • Shravan month special
    Shravan month special : शिव जी पर चढ़ाये गये प्रसाद को ग्रहण करने से मिट जाते हैं समस्त पाप धर्म अध्यात्म
  • भड्डली नवमी
    भड्डली नवमी, देवशयनी से पहले इस साहलक का अंतिम अबूझ विवाह मुहूर्त जानें पं. हृदय रंजन शर्मा जी से धर्म अध्यात्म
  • Ahoi Ashtami 2023 : ब्रज के राधाकुंड में डुबकी लगाने से भर जाती है निसंतानों की गोद धर्म अध्यात्म
  • Shri Krishna Janmashtami
    28 अप्रैल से सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी सवा दो महीने तक रोक धर्म अध्यात्म
  • lunar eclipse
    Dashara: विजय दशमी की पूजा का मुहूर्त, अचूक मंत्र और महत्व धर्म अध्यात्म
  • लोहड़ी पर्व
    Lohri Festival 2025 : कैसे मानते हैं लोहड़ी पर्व, क्या हैं गीत, कौन है दुल्ला भट्टी, जानें विस्तार से धर्म अध्यात्म

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Motivation
    Motivation : 2.3 मिलियन से अधिक फालोवर बनाना आसान नहीं था : रतन चौहान Motivation
  • मशहूर मॉडल अंशिका सेंगर
    पेय पदार्थों पर मशहूर मॉडल अंशिका सेंगर ने दी महत्वपूर्ण जानकारी Health
  • स्टार फिटनेस मॉडल
    मुंबई की स्टार फिटनेस मॉडल व एथलीट हैं जानवी पांडव Motivation
  • मकर संक्रांति
    Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति का राशियों पर पड़ेगा क्या प्रभाव, जानें पंडित हृदय रंजन शर्मा से धर्म अध्यात्म
  • CSJMU badminton team
    तृतीय कॉस्को कानपुर सीनियर बैडमिंटन टूर्नामेंट 20 सितंबर से Sports
  • Shubman Gill
    Shubman Gill Discharged From Hospital : शुभमन को मिली छुट्टी, पर… World Cup 2023
  • Basant Panchami 2024
    Ganesh Chaturthi-2023 : गणेशजी को दूर्वा और मोदक चढ़ाने का महत्व क्यों Blog
  • मुख्यमंत्री ने नागरिकों की सभी तरह की समस्याओं का स्थानीय स्तर पर तत्काल समाधान कराने के दिए निर्देश UP Government News

Copyright © 2025 .

Powered by PressBook News WordPress theme