वाराणसी-नई दिल्ली नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Varanasi-New Delhi Vande Bharat Express) के सफर का मेरा अनोखा और सुखद अनुभव
दोस्तों पांच साल की उम्र में मैंने एक अनोखा रिकार्ड बना दिया है। महज 12 घंटे में कानपुर से नई दिल्ली जाकर वापस कानपुर आ गया। यह संभव हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की वजह से। 18 दिसंबर को जब वाराणसी से नई दिल्ली तक के लिए दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन हुआ तो मैं भी विशेष पास से कानपुर से शाम 6ः00 बजे सवार हुआ। रात 11ः50 बजे दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली में दूसरी स्पेशल ट्रेन तैयार थी। 50 मिनट के इंतजार के बाद वापसी हुई और सुबह 6ः00 बजे कानपुर लौट आया। थैंक्स भारतीय रेलवे। थैंक्स रेलवे वाले मेरे प्यार अंकल।
18 दिसंबर 2023 का दिन था। दोपहर 2ः30 बजे स्कूल से लौटा तो ठंड से कंपकंपा रहा था। जल्दी से स्कूल की ड्रेस बदली और नास्ता कर विस्तर में घुस गया। तभी रेलवे के एक बड़े अधिकारी और पापा के दोस्त का फोन आया वाराणसी ने नई दिल्ली के लिए नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने शुभारंभ किया है। ये ट्रेन शाम छह बजे कानपुर पहुंच जाएगी। उन्होंने कानपुर सेंट्रल स्टेशन में एक अधिकारी का नंबर दिया और पास कलेक्ट करने को कहा।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसका कारण यह है रेलवे का सफर मुंझे बहुत अच्छा लगता है। जब सफर वंदे भारत एक्सप्रेस को हो वह भी जिसे प्रधानमंत्री ने स्वयं हरी झंडा दिखाकर रवाना किया हो, तो फिर मेरे विस्तर पर रहने का कोई कारण नहीं बनता। मैं जल्दी से उठा और मम्मी ने फटाफट तैयार कर दिया। पापा के साथ बाइक पर बैठकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंच गया।
सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1 पर पहुंचकर बहुत रोमांचित था। यहां वंदे भारत एक्सप्रेस के स्वागत के लिए कार्यक्रम चल रहा था। स्कूली बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर रहे थे। मैं स्टेशन की पहली मंजिल पर पहुंचा और वहां पर एक अधिकारी ने मुस्कराकर मेरा स्वागत किया। सोफे पर बैठाया और कुछ फार्मेटी के साथ पास लाकर दिया।
मैं स्टेशन पर उतर कर आया तो कानपुर के मेयर प्रमिला पांडेय जी संबोधित कर रही थीं। इसी बीच ढोल नगाड़ों की आवाज तेज हो गई। नई चमचमाती हुई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन स्टेशन पर प्रवेश करने लगी। उसके साथ सेल्फी लेने वालों की होड़ लग गई। मैंने भी कुछ सेल्फी ली और सी-8 बोगी में प्रवेश कर गया। जहां फूल देकर मेरा स्वागत किया गया। मैं विंडो वाली चेयर पर बैठ गया। चूंकि ट्रेन के अंदर बहुत लिमिटेड लोग थे, इसलिए कहीं पर भी बैठूं ये मेरी मर्जी पर निर्भर थी।
अंदर सबकुछ हवाई जहाज जैसा लग रहा था। तभी एनाउंसमेंट होता है कि आॅटोमेटिक दरवाजे बंद होने वाले हैं। कृपया अपनी सीट पर बैंठ जाएं। अपनी सीट पर मुंझे बहुत आंनद आ रहा था। सीट को पीछे करने की सुविधा थी ताकि पीठ को आराम दे सकूं। ट्रेन के चलने पर फिर टीटी अंकल आए और स्वागत की मुद्रा में मुस्कराते हुए इंट्री की।
कुछ देर में वेंडर अंकल आए और पानी की बोतल दी। वहां सबकुछ रोमांचित कर रहा था। मैंने सोचा आराम से बैठने से पहले वाशरूम हो आता हूं। वाशरूम में बिल्कुल 5 स्टार होटल जैसा लग रहा था। जहां आधुनिक नल के साथ हैंडवाश करने और हैंडरिंस करने की सुविधा थी।
वाशरूम से वापस आया तो वेंडर अंकल ने फिर सीट पर आकर काॅफी दी। काॅफी पीकर मैंने कुछ फोटो खींची और ट्रेन की सुविधाओं का अवलोकन करने लगा। लगभग एक घंटे के सफर के बाद फिर वेंडर अंकल आए और उन्होंने खाने की पैक्ड ट्रे दी। जिसमें मक्खन लगी रोटी, रामभोग चावल, पनीर की सब्जी, सूखी सब्जी, अचार, पापड, सलाद और एक रसगुल्ला भी था।
रास्ते में वंदे भारत एक्सप्रेस ने इटावा, टूंडला और अलीगढ़ में स्टापेज लिया। ट्रेन रुकने से पहले एनांउसमेंट के माध्यम से जानकारी दी जा रही थी कि कौन सा स्टेशन आने वाला है। स्टेशन पर प्रवेश करने से पहले ही ढोल-नगाड़ों की आवाज आने लगती। ट्रेन का खूब स्वागत हो रहा था।
काफी इंज्वाय करते हुए मैं रात 11ः50 बजे दिल्ली पहुंच गया। यहां प्लेटफार्म नंबर -2 पर राजधानी जैसी एक विशेष ट्रेन पहले से तैयार थी। जहां कई टीटी अंकल पहले से खड़े थे। मैंने उनसे पूछा क्या वंदे भारत एक्सप्रेस के मेहमानों को वापस छोड़ने के लिए यही ट्रेन है। उन्होंने कहां हां- पूरी ट्रेन आपकी ही है। जहां मन आए बैठ जाओ। मैंने अंदर बैग रखा और कुछ देर के लिए स्टेशन पर आ गया।
यहां चिप्स खाने के साथ एक कप काफी पी। फिर आराम से अपनी सीट पर बैठ गया। तभी रेवले के एक अंकल आए और उन्होंने झक सफेद रंग के दो चद्दर और एक काले रंग का कंबल दिया। कुछ देर तक मैं पहले ऊपर से नीचे तीनों बर्थ पर उछल-कूद करता रहा। फिर बीच वाली बर्थ में लेट गया। हल्की नीले रंग की लाइट जल रही थी। जो आंखों को शीतलता पहुंचा रही थी।
लेटे-लेटे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह साढ़े पांच बजे के करीब नींद खुली तो एक अंकल कह रहे थे पनकी आ गया है। जल्द कानपुर स्टेशन आने वाला है। मैं उठा अपना बिखरा सारा सामान समेटकर बैग में डाला और उतरने के लिए तैयार हो गया। गाड़ी कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर रुकी तो बाहर निकला। बाहर बहुत ठंडी हवा चल रही थी। मैं फिर कांपने लगा, तो अहसास हुआ ट्रेन के अंदर मैं कितने आराम में था।
थैंक्स प्रधानमंत्री मोदी जी, थैंक्स भारतीय रेलवे, थैंक्स रेलवे के अधिकारी अंकल जी
–अयांश श्रीवास्तव , Kanpur (Class 1)