अलीगढ़: मकर संक्रांति 14 जनवरी दिन मंगलवार को है। इस दिन स्नान और दान करने पर मनवांक्षित फल मिलता है। अपनी मनोकामना को प्राप्त करने के बारे में विस्तार से बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा जी।
पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है, तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के 14वें या 15वें दिन ही पड़ता है। क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
इस वर्ष 2025 में यह त्यौहार 14 जनवरी मंगलवार को है। क्योंकि इस बार धनु राशि से मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी की सुबह 08ः56 पर हो रहा है। इसलिए मकर संक्रांति 14 जनवरी दिन मंगलवार को मनाना ही सर्वोत्तम माना जाएगा। इसी दिन पूरे दिन गंगा स्नान एवं दान पुण्य हेतु पुण्य काल माना जाएगा।
मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं। कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
14 दिसबंर से 14 जनवरी तक का समय खर मास के नाम से जाना जाता है। 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि के आखिरी स्नान तक चलता है।
मकर संक्रान्ति का महत्व, शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है
ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता है। इसदिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यतरू भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।
इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही पड़ता है इस बार सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में 14 जनवरी की सुबह 8ः56 पर प्रवेश करेंगे इसलिए मकर संक्रांति का शुभ त्यौहार इस बार 14 जनवरी को ही मनाना उचित माना जाएगा इसी दिन लोग गंगा पर स्नान हेतु भी जाते हैं और दान पुण्य करते हैं जिससे पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
इस बार मकर संक्रांति पर महा पुण्य काल प्रातः 9ः30 से 12ः06 तक माना जाएगा।
मकर संक्रांतिपुण्य काल प्रातः 08ः56 से सांयकाल 5ः41 तक पूरे दिन मान्य होगा
2025 में सर्दियों के शुभ विवाह मुहूर्त’ जनवरी में 16, 18, 19, 20, 21 ,22, 24, 26, 27 जनवरी
फरवरी में 3 ,4 ,7 ,8, 14 ,15, 16, 18, 20, 21, 23, 25, 26 फरवरी
मार्चमें 1, 2, 3 और 6 मार्च
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प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250