- जटिल बीमारियों का आसानी से बेहतर इलाज होने से बढ़ा प्रभाव
- दवा का सेवन करते समय कुछ तैलीय चीजों को खाने से परहेज़ करना चाहिए
कानपुर : पिछले कई वर्षों से होम्योपैथिक चिकित्सा में प्रभावी और कारगर इलाज के मद्देनजर आम लोगों में इस विधा के प्रति सकारात्मक सोच आने से विश्वास और बढ़ा है। मरीज को किसी भी जटिल बीमारी से मुक्ति दिलाने में होम्योपैथिक ने रोज नए आयाम लिखे हैं।
होम्योपैथिक उपचार के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बताया कि होम्योपैथिक में एक सही मात्रा में दवा दी जाती है जिसके कारण शरीर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता है और न ही शरीर के किसी अंग पर भी इसका असर पड़ता है। इसका शरीर पर टॉक्सिक असर भी कम पड़ता है। इस दवा को बनाते वक्त किसी किसी भी प्रकार के केमिकल फ्लेवर, कलर का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है। इस वजह से यह पूरी तरह से सुरक्षित है। किसी भी बीमारी से संबंधित होम्योपैथी की दवा लेने पर इसका असर आपको एक से दो दिन के अंदर दिखने लगता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दवा के प्रभावी होने के लिए दूध और दूध से बनी खाने की चीजों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए । यदि इसके सेवन में सावधानियां नहीं बरती जाती हैं, तो व्यक्ति को आगे चलकर मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। त्वचा संबंधित रोगों की दवा लेने के दौरान खट्टे फल या खट्टा दही जैसे खट्टे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। यदि आप गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए दवा ले रहे हैं तो मसालेदार और तैलीय चीजें खाने से परहेज़ करना चाहिए।
इसके अलावा तामसिक आहार (अदरक, लहसुन, प्याज) जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि होम्योपैथिक दवाओं का इलाज लेने वाले व्यक्ति को इसके साथ आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाओं के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि एक समय में एक ही विधा की दवा लेनी चाहिए ताकि आपके शरीर पर इसका कोई नकारात्मक असर न पड़े। कुल मिलाकर एक ही विधा की दवा लेनी चाहिए होम्योपैथिक या एलोपैथिक या आयुर्वेदिक। तीनों या या फिर दो विधा की दवा शरीर को नुक्सान पहुंचा सकती हैं।