Skip to content

The Xpress News

  • Home
  • धर्म अध्यात्म
  • Health
  • Blog
  • Toggle search form
  • Padma Shri Award 2024 : यूपी की 12 विभूतियों को मिलेगा पद्म श्री पुरस्कार Blog
  • Shravan month special
    Living Daughter Fast : जीवित पुत्रिका व्रत 06 अक्टूबर को, जानें क्यों रखा जाता है ये व्रत धर्म अध्यात्म
  • ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल प्लॉट
    ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल प्लॉट आवंटन स्कीम लायी योगी सरकार UP Government News
  • Writer Rohit Rana
    Writer Rohit Rana : मेरठ के रोहित राणा की कलम से अब बनेंगी बाॅलीवुड की फिल्में मनोरंजन
  • Railway News
    Railway News : सूझबूझ भरा निर्णय लेकर रेल यातायात को सुचारू कराने वाले रेलकर्मी सम्मानित Railway
  • डॉक्टर मधुलिका
    होम्योपैथिक दवा से साइटिका की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है : डॉ. मधुलिका शुक्ला Health
  • Renewable Energy
    Renewable Energy : अब रिन्यूएबल एनर्जी से रौशन होगा प्रदेश UP Government News
  • Pandit Deendayal Upadhyay
    Pandit Deendayal Upadhyay के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं General
Basant Panchami 2024

Basant Panchami-2024 : बसंत पंचमी मनाने की जानें विधि, पौराणिक मान्यताएं, मां सरस्वती के विभिन्न स्वरूप

Posted on February 9, 2024 By Manish Srivastava No Comments on Basant Panchami-2024 : बसंत पंचमी मनाने की जानें विधि, पौराणिक मान्यताएं, मां सरस्वती के विभिन्न स्वरूप

Basant Panchami-2024 : बसंत पंचमी (श्री सरस्वती जयंती) विशेष 14 फरवरी 2024 बुधवार, के विषय में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़

🏵 माघ शुक्ल पक्ष दिन बुद्धबार रेवती नक्षत्र सुबह 10:42तक उसके बाद अश्विनी नक्षत्र शुभ योग बालब करण के शुभ संयोग में मंगलवार 13 फरवरी 2024 की दोपहर 02:41 से बुधवार 14 फरवरी 2024 दोपहर 12:09बजे तक पंचमी तिथि मान्य रहेगी,( उदया तिथि के हिसाब से भी 14फरवरी बुद्धवार कोही बसंत पंचमी श्री सरस्वती जयंती मान्य रहेगी) , यह विवाह का एक अनबूझा(स्वयंसिद्ध) मुहूर्त भी है.




🍁बसंत पंचमी क्यों और कैसे मनाई जाती है
🏵 माता सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है. शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है. यह शिक्षा ही तो मनुष्य को पशुओं से अलग बनाती है

🏵 मान्यता है कि मनुष्य की रचना के बाद ब्रह्मा जी ने अनुभव किया कि केवल इससे ही सृष्टि की गति नहीं दी जा सकती है

🏵 विष्णु से अनुमति लेकर उन्होंने एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी. शब्द के माधुर्य और रस से युक्त होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा. *

🏵 सरस्वती ने जब अपनी वीणा को झंकृत किया, तो समस्त सृष्टि में नाद की पहली अनुगूंज हुई. चूंकि सरस्वती का अवतरण माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है

🌟 यह भी मान्यता है कि भगवान विष्णु के कथन के अनुसार ब्रह्मा जी ने सरस्वती देवी का आह्वान किया. सरस्वती माता के प्रकट होने पर ब्रह्मा जी ने उन्हें अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरने का अनुरोध किया. माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ, उससे ‘सा’ शब्द फूट पड़ा. यह शब्द संगीत के सात सुरों में प्रथम सुर है. इस ध्वनि से ब्रह्मा जी की मूक सृष्टि में ध्वनि का संचार होने लगा. हवाओं को, सागर को, पशु-पक्षियों और अन्य जीवों को वाणी मिल गयी. नदियों से कलकल की ध्वनि फूटने लगी. इससे ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने सरस्वती को वाणी की देवी के नाम से सम्बोधित करते हुए ‘वागेश्वरी’ नाम दिया

💥मां सरस्वती के पूजन की विधि

🏵 ज्ञान और वाणी के बिना संसार की कल्पना करना भी असंभव है. माता सरस्वती इनकी देवी हैं. अत: मनुष्य ही नहीं, देवता और असुर भी माता की भक्ति भाव से पूजा करते हैं. सरस्वती पूजा के दिन लोग अपने-अपने घरों में माता की प्रतिमा की पूजा करते हैं. पूजा समितियों द्वारा भी सरस्वती पूजा के अवसर पर पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है

🏵 सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए. इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए. इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं. इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है. देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं. प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए. इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है

🏵 सरस्वती पूजन के लिए हवन यदि कोई करना चाहे तो अवश्य करे। हवन के लिए हवन कुण्ड अथवा भूमि पर सवा हाथ चारों तरफ नापकर एक निशान बना लेना चाहिए. अब इस भूमि को कुशा से साफ करके गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें और यहां पर हवन करें. हवन करते समय गणेश जी, नवग्रह के नाम से हवन करें. इसके बाद सरस्वती माता के नाम से ‘ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा” इस मंत्र से एक सौ आठ बार हवन करना चाहिए. हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन का भभूत लगाएं




💐सरस्वती पूजन के पीछे पौराणिक मान्यताएं

🔥श्रीकृष्ण ने की सरस्वती की प्रथम पूजा
🏵 इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के पीछे भी पौराणिक कथा है. इनकी सबसे पहले पूजा श्रीकृष्ण और ब्रह्माजी ने ही की है
🏵 सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़क दिया. इससे सारी धरा हरियाली से भर गई, पर साथ ही देवी सरस्वती का उद्भव हुआ, जिसे ब्रह्माजी ने आदेश दिया कि वीणा और पुस्तक से इस सृष्टि को आलोकित करें. तभी से देवी सरस्वती के वीणा से झंकृत संगीत में प्रकृति विहंगम नृत्य करने लगती है

🏵 शक्ति के रूप में भी मां सरस्वती

🍀मत्स्यपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मार्कण्डेयपुराण, स्कंदपुराण तथा अन्य ग्रंथों में भी देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है. इन धर्मग्रंथों में देवी सरस्वती को सतरूपा, शारदा, वीणापाणि, वाग्देवी, भारती, प्रज्ञापारमिता, वागीश्वरी तथा हंसवाहिनी आदि नामों से संबोधित किया गया है. ‘दुर्गा सप्तशती’ में मां आदिशक्ति के महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती रूपों का वर्णन और महात्म्य बताया गया है

🌻कुंभकर्ण की निद्रा का कारण बनीं सरस्वती
🏵 कहते हैं देवी वर प्राप्त करने के लिए कुंभकर्ण ने दस हजार वर्षों तक गोवर्ण में घोर तपस्या की. जब ब्रह्मा वर देने को तैयार हुए, तो देवों ने निवेदन किया कि आप इसको वर तो दे रहे हैं, लेकिन यह आसुरी प्रवृत्ति का है और अपने ज्ञान और शक्ति का कभी भी दुरुपयोग कर सकता है. तब ब्रह्मा ने सरस्वती का स्मरण किया. सरस्वती राक्षस की जीभ पर सवार हुईं. सरस्वती के प्रभाव से कुंभकर्ण ने ब्रह्मा से निद्रा का वरदान मांगा और जब जागा तो भगवान श्रीराम उसकी मुक्ति का कारण बने

🔥मां सरस्वती के विभिन्न स्वरूप

🏵 विष्णुधर्मोत्तर पुराण में वाग्देवी को चार भुजायुक्त और आभूषणों से सुसज्जित दर्शाया गया है. स्कंद पुराण में सरस्वती जटा-जूटयुक्त, अर्धचन्द्र मस्तक पर धारण किए, कमलासन पर सुशोभित, नील ग्रीवा वाली व तीन नेत्रों वाली कही गई हैं. रूप मंडन में वाग्देवी का शांत, सौम्य वर्णन मिलता है. ‘दुर्गा सप्तशती’ में भी सरस्वती के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन मिलता है. शास्त्रों में वर्णित है कि वसंत पंचमी के दिन ही शिव जी ने मां पार्वती को धन और सम्पन्नता की अधिष्ठात्री देवी होने का वरदान दिया था. उनके इस वरदान से मां पार्वती का स्वरूप नीले रंग का हो गया और वे ‘नील सरस्वती’ कहलायीं. शास्त्रों में वर्णित है कि वसंत पंचमी के दिन नील सरस्वती का पूजन करने से धन और सम्पन्नता से सम्बंधित समस्याओं का समाधान होता है. वसंत पंचमी की संध्याकाल में सरस्वती पूजा करने से और गौ सेवा करने से धन वृद्धि होती है

🏵 अक्षराभ्यास का दिन है वसंत पंचमी

⭐वसंत पंचमी के दिन बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है. अक्षराभ्यास से तात्पर्य यह है कि विद्या अध्ययन प्रारम्भ करने से पहले बच्चों के हाथ से अक्षर लिखना प्रारम्भ कराना. इसके लिए माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठें. बच्चे के हाथ से गणेश जी को पुष्प समर्पित कराएं और स्वस्तिवाचन इत्यादि का पाठ करके बच्चे को अक्षराभ्यास करवाएं. मान्यता है कि इस प्रक्रिया को करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी




🔷वसंत पंचमी एक नजर में

🏵 यह दिन वसंत ऋतु के आरंभ का दिन होता है. इस दिन देवी सरस्वती और ग्रंथों का पूजन किया जाताहै.नवबालक-बालिका इस दिन से विद्या का आरंभ करते हैं. संगीतकार अपने वाद्ययंत्रों का पूजन करते हैं. स्कूलों और गुरुकुलों में सरस्वती और वेद पूजन किया जाता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन बिना मुहूर्त जाने शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं

🏵 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परमपूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,8272809774 *

 

धर्म अध्यात्म Tags:Basant Panchami-2024

Post navigation

Previous Post: Mauni Amavasya : मौनी अमावस्या का जानें महत्व, व्रत नियम, उपाय, कथा और मुहूर्त
Next Post: Basant Panchami 2024 : अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोर है,  तो बसंत पंचमी के दिन करें यह घरेलू उपाय, जानें शुभ मुहूर्त

Related Posts

  • Shravan month special
    Dhanteras 2023 : धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी के साथ धनवंतरि और कुबेर की भी पूजा की जानी चाहिए धर्म अध्यात्म
  • Basant Panchami 2024
    कोजागिरीव्रत (शरद पूर्णिमा) 28अक्टूबर को, चंद्रमा के प्रकाश में रखी खीर खाने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं धर्म अध्यात्म
  • भारतीय संस्कृति
    भारतीय संस्कृति और परिधानों को संजोए हैं बिंदिया शर्मा धर्म अध्यात्म
  • Raksha Bandhan
    इसबार आषाढ़ में 23 जून से 05 जुलाई तक रहें विशेष सावधान, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नहीं है शुभ धर्म अध्यात्म
  • Mahashivaratri 2025
    Narad Jayanti : ब्रह्माण्ड के प्रथम संवाददाता की महर्षि नारद जयन्ती 25 मई को धर्म अध्यात्म
  • Ahoi Ashtami 2023 : ब्रज के राधाकुंड में डुबकी लगाने से भर जाती है निसंतानों की गोद धर्म अध्यात्म

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Shravan month special
    Solar Eclipse : विदेश में कंकणाकृति खंड़ग्रास सूर्य ग्रहण 14 को दिखेगा धर्म अध्यात्म
  • Wimbledon- 2025
    Wimbledon- 2025 : सबालेंका ने स्थानीय दावेदार राडुकानु को दी शिकस्त Sports
  • Hariyali Teej
    Shri Hanuman Janmotsav : श्री हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल को, जानें मुहूर्त और सावधानियां धर्म अध्यात्म
  • जय नारायण विद्या मंदिर
    जयनारायण के उत्कर्ष ने राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिता में बनाई जगह Blog
  • Mahashivaratri 2025
    Ram Navami 2025 : सुखद संयोग में 06 अप्रैल को मनाई जाएगी रामनवमी धर्म अध्यात्म
  • Preeti Ranjan
    जारी है जलवा प्रीति रंजन का मनोरंजन
  • टनकपुर त्रैसाप्ताहिक विशेष गाड़ी
    टनकपुर-खातीपुरा-टनकपुर त्रैसाप्ताहिक विशेष गाड़ी टनकपुर से 08 जनवरी से चलेगी Railway
  • घाटमपुर में छह साल की बच्ची से duskrm, सिर पर मारी ईंट -शोर मचाने पर मुंह में पत्ते ठूंस दिए Crime

Copyright © 2025 .

Powered by PressBook News WordPress theme