Aligarh : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) 22 सितंबर से 01 अक्टूबर तक है। शारदीय नवरात्र की घटस्थापना ,कलश स्थापना मुहूर्त के विषय में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा-9756402981,7500048250*
*प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी सनातनी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस बार 2025 में पूजा पाठ करने वाले लोगों के लिए नवरात्र व्रत 09 की जगह 10 दिन के पढ़ रहे हैं। जो पूजा पाठ करने वाले साधकों के लिए विशेष शुभ माने जाता है इस नवरात्रि मां जगदंबा हाथी पर सवार होकर हमारे घर आएंगी और नवरात्रि की समाप्ति पर नर वाहन पर बैठकर देवलोक वापस जाएंगी ।*

सोमवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवीकृपा व इष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। शुभ योग, श्रीवास्तव योग, शुक्ल योग ,ब्रह्म योग में उत्तरा फाल्गुनी के बाद हस्त नक्षत्र रहेगा सर्वाथ सिद्धि योग रहेगा सुबह 06:19 तक रहेगा इस बीच 24 सितंबर को चंद्रमा का तुला राशि में संचार होगा जहां ग्रहो के सेनापति मंगल पहले से ही विराजमान होंगे वैदिक ज्योतिष के अनुसार तुला राशि में चंद्रमा और मंगल ग्रह की युति से महालक्ष्मी योग का निर्माण होगा जो बेहद शुभ फलदाई होने वाला है जो बेहद शुभ फलदाई होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के अनुसार महालक्ष्मी योग बेहद ही कल्याणकारी माना जाता है देवी मां का हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आने का मतलब नवरात्रि में अत्यंत सफलता दायक माना जाता है इस वाहन पर सवार होकर आने से देश में वर्षा अच्छी होती है कृषि खेती पैदावार में वृद्धि होती है सुख समृद्धि ऐश्वर्य वैभव में वृद्धि होती है इसका मतलब पूरे साल सुख समृद्धि और सौभाग्य को लेकर देवी माता हमारे घरों पर आ रही हैं इसके साथ ही वर्षा सही होने से कृषि कार्यों खेती अनाज की पैदावार भी अच्छी होगी।
घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त
*नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि में कर लेनी चाहिए। इसे कलश स्थापना भी कहते है।कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।*
*22 सितंबर की रात्रि 04:57 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। दिन में 12:16 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नश्रत्र रहेगा। इसके बाद हस्त नक्षत्र पूरे दिन मान्य रहेगा यह दोनों नक्षत्र और अभिजित मुहूर्त, द्विस्वभाव लग्न में कलश स्थापना अत्यंत शुभ मानी जाती है।*
*सुबह 6:28 से 08:10बजे तक अमृत बेला में कलश स्थापना (जौ बोना) अधिक शुभ रहेगा। उसके बाद दिवाकाल 09:30 से 11:00 बजे तक शुभ बेला में ये समय सभी तरह से शुभफलदायक माना जाएगा। इसके बाद दोपहर अभिजित मुहूर्त 11:49 से 12:55 तक रहेगा इसमे भी घटस्थापना करना शुभ माना जाता है।*
*नवरात्रि 2025 की तिथियाँ*
पहला नवरात्र – प्रथमा तिथि, 22 सितंबर 2025, दिन सोमवार माँ शैलपुत्री की उपासना। देवी मां का देवलोक से हाथी पर सवार पृथ्वी पर हमारे घर में आगमन
दूसरा नवरात्र – द्वितीया तिथि, 23 सितंबर 2025, दिन मंगलवार माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना।
तीसरा नवरात्र तृतीय तिथि 24 सितंबर दिन बुधवार मां चंद्रघंटा की उपासना
तीसरा नवरात्र – तृतीया तिथि, 25 सितंबर 2025, दिन गुरुवार माँ चंद्रघंटा की उपासना।
चौथा नवरात्र – चतुर्थी तिथि, 26 सितम्बर 2025, शुक्रवार माँ कुष्मांडा की उपासना।
पांचवां नवरात्र – पंचमी तिथि , 27 सितम्बर 2025, शनिवार माँ स्कन्द जी की उपासना।
छठा नवरात्र – षष्ठी तिथि, 28 सितंबर 2025, रविवार माँ कात्यायनी की उपासना।
सातवां नवरात्र – सप्तमी तिथि, 29 सितंबर 2025, सोमवार माँ कालरात्रि की उपासना।
आठवां नवरात्र – अष्टमी तिथि, 30सितम्बर 2025, मंगलवार माँ महागौरी की उपासना।
नौवां नवरात्र – नवमी तिथि, 01 अक्तूबर 2025, बुधवार माँ सिद्धिदात्री की उपासना।
दशहरा – दशमी तिथि, 02 अक्तूबर 2025, गुरूवार। नर वाहन पर देवलोक में देवी मां का प्रस्थान
*घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री* *जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना होपात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते है )घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है ) कलश में भरने के लिए शुद्ध जल नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल रोली , मौली इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है ) पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का ) ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल नारियल, लाल कपडा, फूल माला
,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप ,अगरबत्ती*
*भगवती मंडल स्थापना विधि*
जिस जगह पूजन करना है उसे एक दिन पहले ही साफ सुथरा कर लें। गौमुत्र गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें।सबसे पहले गौरी गणेश जी का पूजन करें। भगवती का चित्र बीच में उनके दाहिने ओर हनुमान जी और बायीं ओर बटुक भैरव को स्थापित करें। भैरव जी के सामने शिवलिंग और हनुमान जी के बगल में रामदरबार या लक्ष्मीनारायण को रखें। गौरी गणेश चावल के पुंज पर भगवती के समक्ष स्थान दें।
🌞 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी.9756402981,7500048250*