मनीष श्रीवास्तव, कानपुर: मोटापा स्वास्थ्य का दुश्मन है। ये 270 प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। जिसमें डायबिटीज और ब्लड प्रेशर सबसे खतरनाक है। बदली जीवन शैली से मोटापा जल्दी शरीर पर कब्जा जमा रहा है। ये बातें आईएमए भवन में ‘विश्व मोटापा दिवस‘ या ‘वर्ल्ड ओबेसिटी डे (world obesity day)‘ के अवसर पर विशेषज्ञ डाक्टरों ने कहीं। उन्होंने मोटापे से बचाव और निदान (Solution to Obesity) के तरीके भी बताए। सभी डॉक्टरों ने कहाकि मोटापा आजकल विश्व में एक महत्वपूर्ण बीमारी हो गई है, जिसको कंट्रोल करके लंबी आयु व स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

मोटापा बना देता है डायबिटिक पेशेंट
आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी (Dr Nandini Rastogi) ने बताया कि यह दिवस विश्व में मोटापा यानि अत्याधिक वजन से होने वाली दिक्कतों, बीमारियों व परेशानियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि अधिक वजन वाले लोगों में शुगर की बीमारी की संभावना ज्यादा होती है और शुगर कंट्रोल में भी दिक्कत आती है।
बेरिएट्रिक सर्जरी सर्जरी और बैलून सबसे सफल उपचार
कानपुर के सुप्रसिद्ध गैस्ट्रो फिजिशियन डॉ. पीयूष मिश्रा (Dr. Piyush Mishra) ने बेरिएट्रिक सर्जरी और बैलून को मोटापे पर काबू पाने का सबसे कारगर उपाय बताया। उन्होंने कहा कि मोटापे का सबसे प्रभावी और उत्तम तरीका तो बेरिएट्रिक सर्जरी है। बेरिएट्रिक सर्जरी या चीरे वाली सर्जरी से 30 फीसदी तक वजन कम हो जाता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर इंडोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से बिना चीरा लगाए पेट को सिलकर 70 फीसदी तक छोटा कर दिया जाता है। इससे मरीज 12 घंटे बार घर जा सकता है। इससे वजन कम 20 से 22 फीसदी तक कम हो जाता है। अब नया तरीका बैलून है। जो बहुत ही आसान है। इसे पेट में डालकर जगह को भर दिया जाता है। बैलून दो तरीके के होते हैं। पहला एंडोस्कोपी के माध्यम से पेट में बैलून डाल देते हैं, जो 60 से 70 फीसद जगह भर जाती है। अब नया या एडवांस तरीका है कैप्शूल बैलून के रूप में है। कैप्शूल पेट में जाकर बैलून के रूप में फूल जाता है।
आनुवांशिक गुण है मोटापा, बदली जीवन शैली ने कम उम्र में बढ़ाई
डॉ. रघुवीर माथुर (Dr. Raghuveer Mathur) जो की परफेक्ट प्वाइंट के संचालक है। उन्होंने बताया कि मोटापा आनुवांशिक है। जो जींस के माध्यम से अगली पीढ़ी में चला जाता है। ऐसा मोटापा प्रायः मां-बाप जैसा ही होता है। जैसे मां या पिता को हिप या थाई में मोटापे की समस्या है, तो बच्चों में भी वहीं चर्बी जमा होती है। पर चिंता की बात यह है कि अब कम उम्र में ही मोटापे की समस्या हो रही है। कारण बदली जीवन शैली में शरीर का कम उपयोग करना। उन्होंने बताया चर्बी दो प्रकार से शरीर में एकत्र होती है। पहली तो वह जो त्वचा के नीचे एकत्र होती है। उसे कम करना आसान है। पर जो चर्बी अंदरूनी अंगों में चिपकी होती है। जैसे लीवर व किडनी में, इसे कम करना मुश्किल काम होता है।
नई दवाइयां हैं कारगर
कानपुर के सुप्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजईस्ट डॉ. ऋषि शुक्ला (Dr. Rishi Shukla) ने बताया कि आजकल नई दवाइया आ गई है, जिससे मोटापा और शुगर दोनों कंट्रोल करने में आसानी होती है, लेकिन उसके लिए मरीजों को जागरूक होना पड़ेगा। डॉक्टर से संपर्क करके अपनी दवाइयां व्यवस्थित करनी पड़ेगी।

मोटापे पर काबू करना हो रहा आसान
डॉ. मनीष वर्मा (Dr. Manish Verma) ने बताया कि मोटापा से होने वाली बीमारियां को कम करने के लिए बरिएट्रिक सर्जरी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे मोटापे शुगर बीपी और हार्ट की बीमारियों में सुधार देखा जा रहा है।
जीवन शैली में सुधार आवश्यक
सचिव डॉक्टर कुणाल सहाय (Dr. Kunal Sahay) ने बताया की मोटापा बहुत सारी बीमारियों की जड़ है व एक मोटापे को कम करके आदमी अपनी शुगर, बीपी, यूरिक एसिड जोड़ों की तकलीफ, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बीमारी से काफी हद तक बचाव कर सकता है और अपने जीवन शैली में सुधार करके एक अच्छा जीवन जी सकता है।
एहतियात व उपाय
- दिनचर्या में बदलाव करें
- यदि दवा चल रही है तो नियमित उपयोग करें
- खाना कम खाना चाहिए
- रोटी खाने से पहले सलाद, अंकुरित चने आदि खाकर कुछ पेट भर लें
- आपरेशन से शुरुआत में मोटापा कम कर लें क्योंकि जब डायबिटीज या अन्य बीमारी की वजह से यदि कोई अंग खराब हो गया तो कोई लाभ नहीं