World Cup 1983 : 18 जून 1983, भारतीय क्रिकेट इतिहास का वह दिन है, जब टीम इंडिया ने असंभव को संभव कर दिखाया। इस दिन कपिल देव (Kapil Dev) ने भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को जीतना सिखाया। 1983 तक भारतीय टीम बहुत कमजोर मानी जाती थी और आज 2023 को देखिए। भारतीय टीम तीनों फार्मेट में नंबर वन है।
जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में टीम इंडिया एक वक्त 17 रन के स्कोर पर 5 विकेट गंवा कर संघर्ष कर रही थी। ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर और श्रीकांत शून्य पर आउट हो गए थे। इसके बाद मदन लाल भी 5 रन बनाकर कैच थमा बैठे। फिर संदीप पाटिल भी 1 रन बनाकर चलते बने। इसके बाद यशपाल शर्मा भी सिर्फ 9 रन बना सके।
पहला विकेट 0 रन पर, दूसरा विकेट 6 रन पर, तीसरा विकेट 6 रन पर, चैथा विकेट 9 रन पर और 17 रन पर पांच विकेट गिर गए थे। 50 रन बनाना भी भारी लग रहा था।

इसके बाद कपिल देव बल्लेबाजी करने उतरे। उन पर जैसे हनुमान जी की शक्ति आ गई हो। बल्ले से संपर्क में आते ही गेंद गोली तरफ भाग रही थी। कपिल देव ने 16 चैके और 6 छक्के लगाए। उन्होंने 175 रन की रिकार्ड विराट पारी खेली और नाबाद रहे। कपिल देव गेंदों को बाउंड्री के पार पहुंचा रहे थे और दूसरी तरफ के बल्लेबाज किसी तरह अपना विकेट बचा रहे थे। दूसरी छोर से अब भी बल्लेबाजों का आउट होने का क्रम जारी था। रवि शास्त्री 1 रन, मदन लाल 17 रन, रोजर बिन्नी 22 रन और सयैद किरमानी 24 रन बना पाए। कपिल देव की पारी की बदौलत टीम का स्कोर 266 रन तक पहुंचा गया।
यही नहीं कपिल देव ने गेंदबाजी में भी अपना जौहर दिखाया। उन्होंने 11 ओवर में सिर्फ 32 रन दिए और 1 विकेट भी हासिल किया।
भारत ने मैच में 31 रन से जीत दर्ज की। इसके बाद तो जीत जो सिलसिला शुरू हुआ तो आज तक जारी है। भारत ने पहले आस्ट्रेलिया को 118 रन से हराया। फिर सेमीफाइनल में इंग्लैंड को 6 विकेट से मात दी। और फाइनल में इंग्लैंड के लाडर््स मैदान में वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर तीसरा वल्र्ड कप अपने नाम कर लिया।

