Shri Ganesh Chaturthi : आखिर श्रीगणेश चतुर्थी 10 दिन ही क्यों और श्री गणेश जी को दूर्वा यानी घास चढ़ाने का क्या महत्व है और वह क्यों चढ़ाई जाती है इन सभी विषयों पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य ) परमपूज्य गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा (अध्यक्ष )श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़
महाभारत काल के समय जब वेदव्यास जी महाभारत कथा को एक ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे तब उन्होंने देवताओं के सुझाव पर उस समय के सबसे तेज लिखने वाले व्यक्ति यानी श्री गणेश जी को चुना व्यास जी ने गणेश जी के सामने शर्त रखी थी कि आपको बिना रुके हुए जो मैं बोलूंगा उसे शीघ्र ही लिखना होगा शास्त्रों में बताया जाता है कि व्यास जी ने महाभारत कथा लगातार 10 दिनों तक कही थी जिसे श्री गणेश जी ने लगातार अक्षरांश लिखा थाकथा समाप्त होने के बाद जब व्यास जी ने आंखें खोली तो देखा कि गणेश जी का शरीर गर्मी से तप रहा है उन्होंने तुरंत गणेश जी को पास स्थितएक कुंड में ले गए तथा उनके शरीर को ठंडा कराया तभी से गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक मनाने की मान्यताएं चली आ रही है तथा अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति को शीतल किया जाता है इसी कारण आजकल गणेश जी के पंडालों को कहीं कहीं बर्फ से सजाया जाता है ताकि पंडाल के अंदर शीतलताबनी रहे
दूर्वा और गणपति
🏵दूर्वा यानि दूब यह एक तरह की घास होती है जो गणेश पूजन में प्रयोग होती है। एक मात्र गणेश ही ऐसे देव है जिनको यह चढ़ाई जाती है। दूर्वा गणेशजी को अतिशय प्रिय है। इक्कीस दूर्वा को इक्कठी कर एक गांठ बनाई जाती है तथा कुल 21 गांठ गणेशजी को मस्तक पर चढ़ाई जाती है। लेकिन आखिर क्यों दूर्वा की 21 गांठे गणेशजी को चढ़ाई जाती है इसके लिए पुराणों में एक कथा है
☘कथा के अनुसार प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य के कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राही-त्राही मची हुई थी अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे।
सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई
🌟प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,8272809774