कानपुर शहर की मशहूर व प्रतिष्ठित होम्योपैथी डॉक्टर ने अपनी सफलता का श्रेय माता और पिता को दिया
- आम लोगों की चिकित्सीय सेवा कर समाज में पेश की मिसाल, जनहित कार्यों के लिए लोग उन्हें मानते हैं बेहद दयालु व महान डॉक्टर
- कहा, कोरोना काल में लोगों को समझ में आ गया कि परिवार की कीमत किसी भी सपने से बड़ी होती है, इसे संभाल कर रखिए
Kanpur : हर माता-पिता अपने बच्चों से बहुत ही प्यार करते हैं चाहे बच्चा काबिल हो या न हो, उनके प्यार में कोई कमी नहीं आती है। लेकिन उन माता-पिता का जीवन धन्य हो जाता है जब वो अपने बच्चों के नाम से पहचाने जाने लगते हैं। इन पंक्तियों को चरितार्थ करके दिखाया है कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने।
उन्होंने एक सफल डॉक्टर बनकर अपने माता-पिता का नाम तो रोशन किया ही है। साथ ही बेहद दयालु स्वभाव के साथ आम जनता की चिकित्सीय सेवा कर समाज में मिसाल पेश कर युवाओं खासतौर पर लड़कियों को प्रेरित भी किया है।
विशेष बातचीत में डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने कहा कि इस संसार में माता-पिता से बढ़कर कोई भी नहीं है। वह अपने बच्चों के लिए जितना त्याग और बलिदान कर सकते हैं उतना कोई भी नहीं कर सकता। मां का गुणगान करने के लिए शब्द कम पड़ सकते हैं लेकिन उसके गुणों की संख्या कम नहीं होगी। वहीं पिता का रोल भी अपने परिवार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अपने बच्चों की हर छोटी-बड़ी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए अपने सपनों को भी भुला देता है। उसकी प्राथमिकता में सबसे पहले परिवार ही होता है।
अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए डॉक्टर मधुलिका ने बताया कि उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। अपना कॅरियर बनाने के दौरान जब भी मैं कभी निराश हुई तो उन्होंने मुझे महत्वपूर्ण सलाह दी जिसकी बदौलत आज मैं डॉक्टर बन पाई हूं। मैं खुद को बहुत ही भाग्यशाली मानती हूं कि मेरे भाई और बहन ने भी मेरा हर कदम पर साथ दिया। सबके लिए मेरी यही सलाह है कि करियर बनाने के लिए कभी भी अपने परिवार से दूरी मत बनाइए क्योंकि परिवार के अलावा कोई भी आपके साथ हमेशा खड़ा नहीं होगा।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कोरोना काल में देखने को मिला जब बड़े-बड़े शहरों के अलावा लोग विदेशों में बड़ी-बड़ी नौकरी व व्यवसाय छोड़कर अपने घर वापस आ गए। इससे यह साबित हो गया कि आपके घर से सुरक्षित जगह कोई नहीं है। हर सफलता के पीछे परिवार का रोल ही अहम होता है।